संगीत विधा का
कोई ज्ञाता ही
बता सकता है
रागों के बारे में
फिर भी एक राग है
जो मुझ को आता है
वह राग
खटराग कहलाता है।
खट-खट-खट- के स्वर
खट-खट-खट- के उतार चढ़ाव
खट-खट ध्वनि
कभी धीमी
कभी तेज़
खट-खट-खट- की संगत
खटकती रहती है
हर पल
मेरे कमरे में।
मन की डोर से बंधी
नर्तन करती
कठपुतली जैसी उँगलियाँ
मानो छेड़ रही हों तान
अभिव्यक्ति के
हारमोनियम पर।
पर यह
बहुत ही साधारण यंत्र है
मेरे कंप्यूटर का तंत्र है
प्रयोग कर्ता स्वतंत्र है
'की बोर्ड' का
अनुरागी हो जाने को
मेरी तरह
खटरागी कहलाने को।
©यशवन्त माथुर©
कोई ज्ञाता ही
बता सकता है
रागों के बारे में
फिर भी एक राग है
जो मुझ को आता है
वह राग
खटराग कहलाता है।
खट-खट-खट- के स्वर
खट-खट-खट- के उतार चढ़ाव
खट-खट ध्वनि
कभी धीमी
कभी तेज़
खट-खट-खट- की संगत
खटकती रहती है
हर पल
मेरे कमरे में।
मन की डोर से बंधी
नर्तन करती
कठपुतली जैसी उँगलियाँ
मानो छेड़ रही हों तान
अभिव्यक्ति के
हारमोनियम पर।
पर यह
बहुत ही साधारण यंत्र है
मेरे कंप्यूटर का तंत्र है
प्रयोग कर्ता स्वतंत्र है
'की बोर्ड' का
अनुरागी हो जाने को
मेरी तरह
खटरागी कहलाने को।
©यशवन्त माथुर©
५० सालों में लोग कलम चलाना भूल जायेंगे. सबको खटरागी ही बनना होगा. सुन्दर बात कही है.
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा बुधवार (23-01-13) के चर्चा मंच पर भी है | अवश्य पधारें |
ReplyDeleteसूचनार्थ |
आज कल हम सभी खटरागी बन गए हैं ... बहुत बढ़िया ॥
ReplyDeleteबहुत ही साधारण यंत्र है
ReplyDeleteमेरे कंप्यूटर का तंत्र है
प्रयोग कर्ता स्वतंत्र है
खटरागी कहलाने को। :D
God Bless U .... :))
main bhi खटरागी hi hoon :P
बढीया हैं ....
ReplyDeleteआज तो अधिकतर लोगो का यही हाल है ...
:-)
आज कल हम सभी खट खट रागी होगए ..और कलम भूल गए हैं..बहुत सही..
ReplyDeleteषटरागी तो ठीक है मगर संगीत के सुर तो सात होते हैं!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
प्रयोग कर्ता स्वतंत्र है
ReplyDelete'की बोर्ड' का
अनुरागी हो जाने को
मेरी तरह
खटरागी कहलाने को..... बहुत सही लिखा आपने
बहुत खूब!
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