इस बारिश में भी
वो जुटा हुआ है
बड़ी तन्मयता से
कूड़े के ढेर में
ढूँढने में
'कुछ मतलब की चीज़'
और अपने कमरे में
बैठ कर
मैं सिर्फ
महसूस कर सकता हूँ
उसकी भूख को
क्योंकि
महसूस करना
मुफ्त है
और कुछ किए बिना।
©यशवन्त माथुर©
वो जुटा हुआ है
बड़ी तन्मयता से
कूड़े के ढेर में
ढूँढने में
'कुछ मतलब की चीज़'
और अपने कमरे में
बैठ कर
मैं सिर्फ
महसूस कर सकता हूँ
उसकी भूख को
क्योंकि
महसूस करना
मुफ्त है
और कुछ किए बिना।
©यशवन्त माथुर©
संवेदनशील रचना
ReplyDeleteअच्छा मैसेज ....
ReplyDeleteबहुत सवेदनशील एवं सार्थक रचना.
ReplyDeleteवाकई ...हम सिर्फ महसूस ही कर सकते हैं ......
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