21 February 2013

अनकही बातें .....

कभी कभी
कुछ बातें
रह जाती हैं
अनकही
अनसुनी
कभी चाहे
कभी अनचाहे
कभी धोखे में
या कभी जान कर
फिर भी
उन बातों को
सुन
समझ लिया जाता है
गूंगी जीभ के स्वाद
और
अंधे को दिखाई देती
हर तस्वीर की तरह।

©यशवन्त माथुर©

5 comments:

  1. सही फ्र्मुआ माथुर जी जीवन में बहुत कुछ अनकही बाते रह जाती है.

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...

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  3. सार्थक रचना
    साभार !

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