कुछ नहीं में
कुछ ढूँढता हुआ
पा रहा हूँ खुद को
आईने के सामने :)
©यशवन्त माथुर©
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:)) अच्छा है! कभी-कभी इस तरह भी खुद से मुलाक़ात हो जाती है...
ReplyDelete~God Bless!!!
सही कहा. खुद को भी खोजना पड़ता है
ReplyDeleteकुछ नहीं में बहुत कुछ पाया है..
ReplyDeleteक्यूंकि खुद को पाया है...
बेहद ज़रूरी है आत्मविश्लेषण....
ReplyDeleteसस्नेह
अनु
हर कोई यहाँ बस अपनी ही तलाश में ..यूँ आइनों से टकराता फिरता है!
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