सड़क सिर्फ
सड़क ही नहीं
सड़क
सिर्फ एक रास्ता ही नहीं
कभी कभी सड़क
मंज़िल भी होती है
जहां से शुरू होती है
वहीं पर खत्म होती है।
©यशवन्त माथुर©
सड़क ही नहीं
सड़क
सिर्फ एक रास्ता ही नहीं
कभी कभी सड़क
मंज़िल भी होती है
जहां से शुरू होती है
वहीं पर खत्म होती है।
©यशवन्त माथुर©
शानदार अभिव्यक्ति,,,यशवंत जी,,,
ReplyDeleteRECENT POST बदनसीबी,
वाह ...बहुत गहन बात
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति बेटी न जन्म ले यहाँ कहना ही पड़ गया . आप भी जाने मानवाधिकार व् कानून :क्या अपराधियों के लिए ही बने हैं ?
ReplyDeleteबहुत खूब....
ReplyDeleteबहुत बढ़िया विचार ...
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 5/2/13 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है
ReplyDeleteसही बात है सड़क मंजिल भी है रास्ता भी... बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteएक यायावर के लिए तो सड़क ही उसकी मंजिल होती खाई..बहुत खूब लिखा है यशवंत जी!
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteसुंदर प्रतीकात्मक क्षणिका, वाह !!!!!!!!!
ReplyDeleteयह तो राहगीर ही समझ सकता है कि उसकी मंजिल कहां हैं....सुंदर सोच
ReplyDeletebadi sacchai.kuch shabdon men sach ka ahsas karant bat
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