कभी अलसाई होती है
कभी मुसकुराई होती है
कभी धुंध में दबी होती है
कभी धूप छाई होती है
सुनाती है कभी
सैर को जाती चिड़ियों के तराने
या बिखराती है खुशबू
खिले फूलों के बहाने
बदलते मौसम के रंगों की
अपनी एक कहानी होती है
हर अजीब सी सुबह
खुद मे सुहानी होती है।
©यशवन्त माथुर©
कभी मुसकुराई होती है
कभी धुंध में दबी होती है
कभी धूप छाई होती है
सुनाती है कभी
सैर को जाती चिड़ियों के तराने
या बिखराती है खुशबू
खिले फूलों के बहाने
बदलते मौसम के रंगों की
अपनी एक कहानी होती है
हर अजीब सी सुबह
खुद मे सुहानी होती है।
©यशवन्त माथुर©
और अगर मूड अच्छा हो ...जैसा इस वक़्त हो रहा है ...तो और भी सुहानी लगती है .........है न
ReplyDeleteहर अजीब सी सुबह
ReplyDeleteखुद मे सुहानी होती है।
बहुत खूब :
New postअनुभूति : चाल,चलन,चरित्र
New post तुम ही हो दामिनी।
हर सुबह सुहानी होती है .... और दिन थकाने वाला :)
ReplyDeleteबदलते मौसम के रंगों की
ReplyDeleteअपनी एक कहानी होती है
हर अजीब सी सुबह
खुद मे सुहानी होती है।
बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति
सुबह तो सुबह होती है हर कोई अपनी नजर से उसे अलसाई या उत्साही बना देता है..
ReplyDeleteaapki is subah se man ko ek shanti si mili. abhaar.
ReplyDeleteshubhkamnayen
बदलते मौसम के रंगों की
ReplyDeleteअपनी एक कहानी होती है
हर अजीब सी सुबह
खुद मे सुहानी होती है।
बहुत बढ़िया !! सच में ....
हाँ...हर सुबह सुहानी होती होती है...और नया दिन लेकर आती है...
ReplyDeleteसस्नेह
अनु
और हर सुबह एक सुन्दर सुहानेपन के साथ आये ..
ReplyDeleteयही कामना है...सुन्दर रचना... :-)
बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति नसीब सभ्रवाल से प्रेरणा लें भारत से पलायन करने वाले
ReplyDeleteआप भी जाने मानवाधिकार व् कानून :क्या अपराधियों के लिए ही बने हैं ?
बिल्कुल.....
ReplyDeleteबिल्कुल.....
ReplyDeleteहर अजीब सी सुबह, खुद मे सुहानी होती है !!!
ReplyDeletebhaut hi khubsurat..... aur khubsurat si subah.....
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