01 February 2013

अजीब सी सुबह

कभी अलसाई होती है
कभी मुसकुराई होती है
कभी धुंध में दबी होती है
कभी धूप छाई होती है

सुनाती है कभी
सैर को जाती चिड़ियों के तराने
या बिखराती है खुशबू
खिले फूलों के बहाने

बदलते मौसम के रंगों की
अपनी एक कहानी होती है
हर अजीब सी सुबह
खुद मे सुहानी होती है।
  
©यशवन्त माथुर©

14 comments:

  1. और अगर मूड अच्छा हो ...जैसा इस वक़्त हो रहा है ...तो और भी सुहानी लगती है .........है न

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  2. हर अजीब सी सुबह
    खुद मे सुहानी होती है।
    बहुत खूब :
    New postअनुभूति : चाल,चलन,चरित्र
    New post तुम ही हो दामिनी।

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  3. हर सुबह सुहानी होती है .... और दिन थकाने वाला :)

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  4. बदलते मौसम के रंगों की
    अपनी एक कहानी होती है
    हर अजीब सी सुबह
    खुद मे सुहानी होती है।

    बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति

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  5. सुबह तो सुबह होती है हर कोई अपनी नजर से उसे अलसाई या उत्साही बना देता है..

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  6. aapki is subah se man ko ek shanti si mili. abhaar.

    shubhkamnayen

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  7. बदलते मौसम के रंगों की
    अपनी एक कहानी होती है
    हर अजीब सी सुबह
    खुद मे सुहानी होती है।
    बहुत बढ़िया !! सच में ....

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  8. हाँ...हर सुबह सुहानी होती होती है...और नया दिन लेकर आती है...

    सस्नेह
    अनु

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  9. और हर सुबह एक सुन्दर सुहानेपन के साथ आये ..
    यही कामना है...सुन्दर रचना... :-)

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  10. हर अजीब सी सुबह, खुद मे सुहानी होती है !!!

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  11. bhaut hi khubsurat..... aur khubsurat si subah.....

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