मतलब
निकल जाने के बाद
सिर पर सजाये हुए
ठेंगे का मुकुट
चमकती बड़ी बड़ी आँखों
और चेहरे पर उत्साह के साथ
करते हुए अभिनय
जागते हुए सोने का
जो जीते हैं हर पल
स्वार्थ की दुनिया में
चारों ओर
कुछ ऐसे भी लोग हैं।
©यशवन्त माथुर©
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दुनिया स्वार्थी लोगों से भरी पड़ी है मित्र,सुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteदुनिया का एक यही शाश्वत सत्य है.
ReplyDeleteसुन्दर भाव.
वही लोग वही हवा वही जमाना है
कातिलों के शहर से होकर तुम्हे जाना है
बहुत सुन्दर रचना!
ReplyDeleteसच है, ऐसे लोगों की कमी नहीं
ReplyDeleteयशवंत ...दुनिया ऐसे ही स्वार्थी लोगों से भरी पड़ी है!... यथार्थपरक रचना!
ReplyDeleteसच मतलबी लोगों की कोई कमी नहीं जहाँ में ..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ..
स्वार्थी दुनिया ,स्वार्थी लोग
ReplyDeleteगुज़ारिश : '' नयन, ह्रदय, प्रीत ''
सही है...ऐसे लोग भी होते है
ReplyDeleteजो मिल जाते है जीवन के एक मोड़ पर
दुखी करने के लिए....
आज इन्हीं लोगों का ज़माना है...बहुत सुन्दर और सटीक रचना...
ReplyDeletesahi kha..duniya rang birangi hai ..kuchh aise bhi log hain..
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