20 March 2013

मेरे पास सैकड़ों बहाने हैं

(विश्व गौरैया दिवस पर विशेष)


दोष मेरा ही है
हरे जंगलों को काट कर
मैंने अब बसा लिया  हैं
कंक्रीट का आशियाना
गमलों मे रोप दिये हैं
बौने बोन्साई

दोष मेरा ही है
और बहाना ये भी है
कि इस महंगाई में
मैं नहीं बिखेर सकता
गेहूं और बाजरा
घर की छत पर

इतनी मेहनत से
लाइन में लग कर
लड़कर झगड़ कर
गली के उस टूटे नल से
लाता हूँ और सहेजता हूँ
अपने पीने का पानी

बोलो गौरैया रानी
मैं कैसे करूँ
तुम्हारी सेवा ?
मैं सब कुछ कर सकता हूँ
अपने लिये
पर तुम्हारे लिये .......?

मेरे पास
सैकड़ों बहाने हैं।

 ~यशवन्त माथुर©

14 comments:

  1. उचित चिंता यशवंत भाई. गाँव गया तो मालूम हुआ की मोबाइल टावरों का भी बहुत बड़ा योगदान है इसके लुप्त होने में.

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  2. आज हम कितने स्वार्थी होगए हैं..

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  3. मैं सब कुछ कर सकता हूँ
    अपने लिये
    पर तुम्हारे लिये .......?

    मेरे पास
    सैकड़ों बहाने हैं

    बहुत सुन्दर
    शुभकामनायें

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  4. सचमुच दोष हम इंसानों का ही है...गहन भाव युक्त बहुत सुन्दर रचना...

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  5. बहुत ही सार्थक प्रस्तुति."पेड़-पौधे लगाएं धरा बचाएं"

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  6. गहरा कटाक्ष लिए ..
    बोलो में क्या करूं ...

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  7. मित्रों!
    आज विश्व गौरय्या दिवस है!

    खेतों में विष भरा हुआ है,
    ज़हरीले हैं ताल-तलय्या।
    दाना-दुनका खाने वाली,
    कैसे बचे यहाँ गौरय्या?

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  8. क्या बात है जी ,मेरे पास सैंकड़ों बहाने हैं
    गुज़ारिश : ''..होली है ..''

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  9. sundar gahare bhav , abhivyakti

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  10. bahut sunder rachna, manav ki maansikta ka sahi chitran

    shbuhkamnayen

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  11. बहुत सुन्दर ...

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  12. bahut sundar rachna ... ham kuch jada hi swarthi ban ja rahe hai.

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  13. कैसे भी हम गौरैया को बचाएं ..... सुंदर पोस्ट

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  14. बोलो गौरैया रानी
    मैं कैसे करूँ
    तुम्हारी सेवा ?
    मैं सब कुछ कर सकता हूँ
    अपने लिये
    पर तुम्हारे लिये ----marmik

    mere blog par bhi padhey "chidiya".

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