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21 March 2013

वही कविता है

मन के उदगार
जो कभी
रस छंद अलंकारों
व्याकरण के नियमों की
गठरी में बंध कर
और कभी
नियमों से परे जा कर 
अपनी मौलिकता से
कराते हैं
अप्रतिम अहसास
जिन्हें कोई रचता है शब्दों में
और मुक्त हो कर
कहता है
वही कविता है। 
  ~यशवन्त माथुर©

11 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,आभार.


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  2. अच्छी अभिव्यक्ति , बधाई

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  3. दिल से निकला हर लफ्ज़ कविता ही तो है....

    अनु

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  4. कविता लिखने की सबकी अपनी२ शैली है लेकिन लय छंद और व्याकरण में बाँधकर अपने भावों को लिखकर प्रगट करना सबके बस की बात नही होती,,,

    RecentPOST: रंगों के दोहे ,

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  5. जिन्हें कोई रचता है शब्दों में
    और मुक्त हो कर
    कहता है
    वही कविता है।
    बहुत सुन्दर...बधाई...

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  6. मुझे हौसला देने के लिए शुक्रिया :))
    शुभकामनायें !!

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  7. आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 23/03/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

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  8. बहुत सही कहा आपने

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  9. सुन्दर रचना..
    दिल की बात कविता से कम नहीं...

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