कभी कभी
कुछ सवाल
ज़बरदस्ती के लगते हैं
और उनके जवाब भी
देने पड़ते हैं
ज़बरदस्ती ही ।
क्योंकि
मन
न होने पर भी
इच्छा
न होने पर भी
बचना मुश्किल होता है
ज़बरदस्ती के
अनचाहे सवालों से
और
उससे भी कठिन होता है
तलाशना
ज़बरदस्ती के
ज़बरदस्त जवाबों को ।
मैंने पढ़ा तो नहीं
मनोविज्ञान
पर अब उत्सुकता है
ज़बरदस्ती की
मानसिकता को
समझने की।
~यशवन्त माथुर©
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अनछुआ विषय पर कविता.. बहुत खूब
ReplyDeleteअनछुआ विषय पर कविता.. बहुत खूब
ReplyDeleteअनछुआ विषय पर कविता.. बहुत खूब
ReplyDeleteजबरदस्ती का मनोविज्ञान निःसंदेह मानसिक असंतुलन की अवस्था है. और हम सभी को कभी न कभी इससे रूबरू होना ही होता है. गहरी सोच-समझ की रचना, शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteबहुत सही कहा है आपने आपको होली की हार्दिक शुभकामनायें शख्सियत होने की सजा भुगत रहे संजय दत्त :बस अब और नहीं . .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MAN
ReplyDeleteसही कहा आपने कभी - कभी हमें न चाहते हुए भी कुछ सवालों के जवाब देने पड्तें हैं ...
ReplyDeleteज़बरदस्ती की
ReplyDeleteमानसिकता को
समझने की।
बात नहीं सब के वश की
शुभकामनायें !!
कभी कभी अनचाहे सवालों का भी सामना करना ही पड़ता है,बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteजीवन में ऐसे बहुत से मौके आते है जब न चाहते हुए भी कुछ काम करने पड़ते है इसे ही तो समझौता कहते हैं -विचारनीय विषय है
ReplyDeletelatest post भक्तों की अभिलाषा
latest postअनुभूति : सद्वुद्धि और सद्भावना का प्रसार
बहुत सुन्दर...होली की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteउससे भी कठिन होता है
ReplyDeleteतलाशना
ज़बरदस्ती के
ज़बरदस्त जवाबों को ।
अनचाहा प्रेम ही क्यों न हो सब कुछ अटपटा ही लगता है