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04 March 2013

क्षणिका

कुछ भी तो नहीं यहाँ
फिर भी 
इन सन्नाटों में
मन के
इस निर्जन कोने में
सोते ख्यालों के
खर्राटों की गूंज
कर रही है परेशान
बार बार ।

 ©यशवन्त माथुर©

4 comments:

  1. अधूरे सपने को
    पूरा करने को
    कह रहे ?

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  2. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुतिकरण,सादर आभार।

    ReplyDelete
  3. वाह भाई वाह बहुत बढ़िया |


    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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