कुछ भी तो नहीं यहाँ
फिर भी
इन सन्नाटों में
मन के
इस निर्जन कोने में
सोते ख्यालों के
खर्राटों की गूंज
कर रही है परेशान
बार बार ।
©यशवन्त माथुर©
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अधूरे सपने को
ReplyDeleteपूरा करने को
कह रहे ?
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुतिकरण,सादर आभार।
ReplyDeleteवाह भाई वाह बहुत बढ़िया |
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
बहुत सुन्दर.
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