07 March 2013

यह सब चलता रहेगा.....

दामिनी...
सोनी सोरी ...
और भी हैं कई
जिनके नाम
मालूम हैं हमें
और कुछ गुमनाम होकर
वक़्त और भाग्य की चोट
सह रही हैं
या गिन रही हैं
घड़ी की टिक टिक
हर पल

कुछ सांसें
उखड़ चुकी हैं
कुछ सांसें
मांगती हैं
हर रोज़ हिसाब
घुट घुट कर
जीने का

यह सिलसिला
चलता रहेगा
भाषण गूँजते रहेंगे
लिखावटें
छपती रहेंगी
स्याह तस्वीरें
दिखती रहेंगी
जब तक
बदलेगी नहीं
सोच 
और दृष्टि
और जब तक
हमें
होगी नहीं पहचान
सफ़ेद मुखौटे मे
छुपे
काले चेहरों की !
©यशवन्त माथुर©

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