09 March 2013

इससे बड़ी सज़ा नहीं

अर्थ हो
या अर्थ का अनर्थ हो
सार्थक हो
या लिखना ही व्यर्थ हो
कुछ लोगों से
कुछ भी कहो
पर अपनी ही
मस्ती में मस्त हो
ज़बरिया कर के टैग
फेसबुक की दीवारों पर
चाहते हैं दो शब्द
खुद के विचारों  पर

टैग की टांग पकड़कर
कब तक चढ़ेंगे ऊपर
पता नहीं
पूछिए हम, बिचारों से
कि इससे बड़ी सज़ा नहीं :)
©यशवन्त माथुर©

12 comments:

  1. हा हा हा ...बहुत खूब
    टैग की समस्या सचमुच पीड़ा देती है

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  2. हा हा हा ...बहुत खूब
    टैग की समस्या सचमुच पीड़ा देती है

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  3. जबरिया ज्यादा दिन नहीं चलती... कहते हैं न हीरा कभी नहीं कहता लाख टका मेरो मोल... शुभकामनायें

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  4. बिलकुल सच कहा है .... शुभकामनाएं !

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  5. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,आभार.

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  6. आपसे पूरी तरह सहमत हूँ

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  7. भाई मैं तो इसलिए किसी को टैग करता ही नहीं | पढना है तो पढो, नहीं पढना तो न पढो हम तो अपने लिए लिखते हैं :) | बढ़िया अवलोकन |



    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  8. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    महाशिवरात्रि की शुभकामनाएँ...!

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  9. व्वाकई एक समस्या बन चुकी है.

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  10. टैग करने वाले को
    करने दीजिए टैग
    सुविधा तो सब की है ....
    शुभकामनायें !!

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  11. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

    महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ !
    सादर

    आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
    अर्ज सुनिये

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