04 April 2013

उस खामोशी में.....

आधी रात की
खामोशी में
गूँजते
गीतों की तरह
मंद और ठंडी हवा में
हिलते पत्तों की तरह
खिलने को बेचैन कलियों
और फूलों की
खुशबू की तरह 
झूमना चाहता हूँ मैं भी
मन की सरगम के साथ
उस वीरान अंधेरे में
जहां
परछाई भी मांगती है
रोशन उजालों को
रिश्वत में।  

~यशवन्त माथुर©

6 comments:

  1. मन की सारी मुराद पूरी हो .....
    दिन दुनी रात चौगुनी उन्नति हो ...

    शुभकामनायें !!

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  2. नहुत सुन्दर...यशवंत

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  3. सुंदर
    उत्कृष्ट प्रस्तुति
    बहुत बहुत बधाई

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  4. बहुत सुन्दर यशवंत भाई.

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  5. बहुत खूब यशवंत जी!

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