भले मानसों की महफिल में, क़व्वालियाँ हैं,तालियाँ हैं।
भीतर के काले दिल में, फितरती कहानियाँ हैं।।
हम सोचते हैं अक्सर,गर हम भी वही होते।
तो जाम बन कर गिलास से, उफन कर गिर रहे होते ।।
झीने पर्दों के भीतर की, रोशन रंगीनियों में।
ज़ुदा होती खुद ही से, खुद ही की परछाईयाँ हैं।।
भले मानसों की महफिल में, क़व्वालियाँ हैं,तालियाँ हैं।
उनकी काबिलियत में शामिल,नाकाबिल मेहरबानियाँ हैं। ।
~यशवन्त माथुर©
बहुत खूब .... सच को बयान करती गज़ल
ReplyDeleteबहुत ही प्यारी सच को बयाँ करती गज़ल
ReplyDeleteआज तो अलग अंदाज़ में ही लेखनी चली :))
ReplyDeleteबहुत ही खुबसुरत !!
शुभकामनायें !!
बल्ले बल्ले
ReplyDeleteसटीक रचना
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन सुंदर गजल!!!
ReplyDeleteRECENT POST: जुल्म
जिंदगी के खोखलेपन को बयां करती कविता..
ReplyDeleteवाह !!! बहुत बेहतरीन गजल!!!
ReplyDeleteRECENT POST: जुल्म
सच को बयाँ करती सुन्दर गज़ल...
ReplyDeleteभले मानसों की महफिल में, क़व्वालियाँ हैं,तालियाँ हैं।
ReplyDeleteभीतर के काले दिल में, फितरती कहानियाँ हैं।।
bahut khoob likha hai
shubhkamnayen