खुद को खुदा समझ कर, जो आसमान में उड़ते हैं।
जिस तेज़ी से उठते हैं, उस तेज़ी से ही गिरते हैं।
हम तो ज़मीं पर थे, हैं और रहेंगे।
जुबानी सरहदों के भीतर, कुछ यूं ही कहेंगे ।
यूं तो रोज़ ही हम, गरज बादलों की सुनते हैं।
जो ऐसे ही गरजते हैं,वो शायद ही बरसते हैं।
खुद को खुदा समझ कर, जो आसमान में उड़ते हैं।
उलझनों में फँसते हैं, कभी बाहर न निकलते हैं।
~यशवन्त माथुर©
खुद को महान समझने वालों जैसा कोई बड़ा मुर्ख नहीं है,अहम मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है,बेहतरीन संदेश.
ReplyDeleteसत्य वचन
ReplyDeleteशुभकामनायें !!
खुद को खुदा समझ कर, जो आसमान में उड़ते हैं।
ReplyDeleteजिस तेज़ी से उठते हैं, उस तेज़ी से ही गिरते हैं।-bahut khub
LATEST POSTसपना और तुम
sundar bhav vyakti
ReplyDeleteखुद को खुदा समझ कर, जो आसमान में उड़ते हैं।
ReplyDeleteजिस तेज़ी से उठते हैं, उस तेज़ी से ही गिरते हैं।
...इस में तो कोई शक़ नहीं