नींव और मजदूर-मई दिवस विशेष
एक जैसे ही होते हैं
नींव और मजदूर
दोनों ही होते हैं आधार
दोनों ही सहते हैं
तरक्की का हर वार
दोनों ही देते हैं
ऊंचाई और चमक
उन पर टिकी होती हैं
आसमान से बतियाती
इमारतें
उन से ही हम सुनते हैं
प्रतिशत विकास की
आहटें
दोनों ही होते हैं गुमनाम
शीत
गर्मी और बरसात से बेखबर
रखते हैं बदलावों से
बा खबर
एहसान फरामोश
दुनिया को।
~यशवन्त माथुर©
Prritiy . Dabral
ReplyDeleteuttam bhaav liye rachna, bahut hi achhi
shubhkamnayen
Bharat Bhushan
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया भाव के साथ लिखी कविता, यशवंत जी.
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jyoti khare
ReplyDeleteमजदूरों के जीवन को सच्ची तौर पर बयां करती रचना
मजदूर दिवस पर सार्थक
उत्कृष्ट प्रस्तुति
aruna kudesia
ReplyDeleteएक जैसे ही होते हैं
नींव और मजदूर
दोनों ही होते हैं आधार............सच कहा .........सार्थक रचना
तुषार राज रस्तोगी
ReplyDeleteआपको यह बताते हुए हर्ष हो रहा है के आपकी यह विशेष रचना को आदर प्रदान करने हेतु हमने इसे आज के (१ मई, २०१३, बुधवार) http://bulletinofblog.blogspot.in के ब्लॉग बुलेटिन - मज़दूर दिवस जिंदाबाद पर स्थान दिया है | बहुत बहुत बधाई |
ARUN KUMAR NIGAM
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना यशवंत जी, बधाई.....
नींव और मजदूर का, एक सरीखा काम
सहते जग के भार को, इन्हें कहाँ विश्राम ||
http://mithnigoth2.blogspot.in/2013/05/1.html