01 May 2013

नींव और मजदूर-मई दिवस विशेष


एक जैसे ही होते हैं
नींव और मजदूर
दोनों ही होते हैं आधार
दोनों ही सहते हैं
तरक्की का हर वार
दोनों ही देते हैं
ऊंचाई और चमक
उन पर टिकी होती हैं
आसमान से बतियाती
इमारतें
उन से ही हम सुनते हैं
प्रतिशत विकास की
आहटें
दोनों ही होते हैं गुमनाम
शीत
गर्मी और बरसात से बेखबर
रखते हैं बदलावों से
बा खबर
एहसान फरामोश
दुनिया को।
~यशवन्त माथुर©

6 comments:

  1. Prritiy . Dabral
    uttam bhaav liye rachna, bahut hi achhi
    shubhkamnayen

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  2. Bharat Bhushan
    बहुत ही बढ़िया भाव के साथ लिखी कविता, यशवंत जी.

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  3. jyoti khare

    मजदूरों के जीवन को सच्ची तौर पर बयां करती रचना
    मजदूर दिवस पर सार्थक
    उत्कृष्ट प्रस्तुति

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  4. aruna kudesia
    एक जैसे ही होते हैं
    नींव और मजदूर
    दोनों ही होते हैं आधार............सच कहा .........सार्थक रचना

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  5. तुषार राज रस्तोगी
    आपको यह बताते हुए हर्ष हो रहा है के आपकी यह विशेष रचना को आदर प्रदान करने हेतु हमने इसे आज के (१ मई, २०१३, बुधवार) http://bulletinofblog.blogspot.in के ब्लॉग बुलेटिन - मज़दूर दिवस जिंदाबाद पर स्थान दिया है | बहुत बहुत बधाई |

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  6. ARUN KUMAR NIGAM
    बहुत सुंदर रचना यशवंत जी, बधाई.....

    नींव और मजदूर का, एक सरीखा काम
    सहते जग के भार को, इन्हें कहाँ विश्राम ||

    http://mithnigoth2.blogspot.in/2013/05/1.html

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