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10 May 2013

ऐसा ही है.....

कभी जैसा हुआ करता था जो
अब नहीं वो वैसा ही है 
बदलते वक़्त में सब कुछ
अब तो ऐसा ही है 

कभी चलते थे आना पाई
दौड़ता-चलता तो अब रुपया ही है
एक अरब के इस प्रदेश में
राजा वहीं पर रंक वही है

कभी 'इन्सान' हुआ करता था जो
दिखता तो अब भी वैसा ही है
दिल की सफेदी मे अब काला कुछ कुछ 
मशीन में कार्बन जमता ही है

सब कुछ तो बस ऐसा ही है
सब कुछ तो बस चलता ही है
कल आज और कल की फितरत
अपना तो सर घूमता ही है। 

~यशवन्त माथुर©

13 comments:

  1. सुन्दर और भावपूर्ण रचना |
    आशा

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  2. सुन्दर और भावपूर्ण रचना
    आशा

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  3. आज का दौर ऐसा ही है ....

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  4. अच्छी रचना...
    सस्नेह
    अनु

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  5. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(11-5-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
    सूचनार्थ!

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  6. आज पैसा ही सब कुछ है..भावपूर्ण रचना |

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  7. कभी 'इन्सान' हुआ करता था जो
    दिखता तो अब भी वैसा ही है
    दिल की सफेदी मे अब काला कुछ कुछ
    मशीन में कार्बन जमता ही है .......सचमुच इंसान से ज़्यादा जटिल और उत्तम मशीन इस पृथ्वी पर नहीं है और इस के भीतर कार्बन जमना कोई आश्चर्यपूर्ण बात नहीं है ...सुन्दर रचना
    http://boseaparna.blogspot.in/

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  8. bahut acchi rachna.....aaj ka yug aisa hi hai

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  9. यथार्थपरक कविता

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  10. वाह बहुत अच्छा लिखा है
    शुभकामनायें

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  11. सब कुछ तो बस ऐसा ही है
    सब कुछ तो बस चलता ही है......

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