कई दिन से 'सवाल' शब्द मेरे पीछे पड़ा था ,आज कुछ सोचते सोचते यह बेतुकी भी लिख ही दी :)
सवाल इस बात का नहीं
कि सवाल क्या है
सवाल इस बात का है
कि सवाल ,
सवाल ही क्यों है
सवाल सच में
किसी बवाल से कम नहीं
वह बवाल ही क्या
कि जिसमे सवाल ही गुम है
सवाल इस बात का नहीं
सवाल का जवाब क्या है
सवाल इस बात का है
कि हकीकत क्या है,
ख्वाब क्या है
सवाल घुमड़ रहा है
उमड़ रहा है
कई दिनों से मेरे मन में
सवाल को ही पता नहीं
कि सवाल का जड़ मूल क्या है
उलझा के उलझ गया हूँ
अब अपने ही हाल में
जाने क्यों फंस गया हूँ
इन सवालों के जाल में।
~यशवन्त माथुर©
बहुत सुंदर ...
ReplyDeleteसवालों के जाल में फंस कर ही तो हल मिलते हैं...
ReplyDelete:-)
सस्नेह
अनु
सवाल जब खुद जवाब बन जाता है तभी हर सवाल गिर जाता है..उसके पहले तो उलझना ही होगा सवालों के जाल में..
ReplyDeleteWell said. Good one . Plz visit my blog.
ReplyDeleteसवाल घुमड़ रहा है
ReplyDeleteउमड़ रहा है
कई दिनों से मेरे मन में
सवाल को ही पता नहीं
कि सवाल का जड़ मूल क्या है
मेरे हर सवालो का जबाब आपके पास होता है
हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार (08-04-2013) के "http://charchamanch.blogspot.in/2013/04/1224.html"> पर भी होगी! आपके अनमोल विचार दीजिये , मंच पर आपकी प्रतीक्षा है .
सूचनार्थ...सादर!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (22-05-2013) के कितनी कटुता लिखे .......हर तरफ बबाल ही बबाल --- बुधवारीय चर्चा -1252 पर भी होगी!
सादर...!
जवाब इन सवालों में मूल में है...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचना
सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteमुझे आप को सुचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि
ReplyDeleteआप की ये रचना 24-05-2013 यानी आने वाले शुकरवार की नई पुरानी हलचल
पर लिंक की जा रही है। सूचनार्थ।
आप भी इस हलचल में शामिल होकर इस की शोभा बढ़ाना।
मिलते हैं फिर शुकरवार को आप की इस रचना के साथ।
बहुत मुश्किल है इन सवालों के जाल से निकलना..बढ़िया लिखा है
ReplyDeleteaapke sawal bade vicharsheel hain :)
ReplyDeletesunder rachna
जो सवाल का मूल समझ में आ गया तो जवाब तो मिलना निश्चय है
ReplyDeleteसुन्दर रचना
साभार !