पुरानी किताब के
गलते पन्नों की
धुंधलाती इबारतें
कभी कभी
सामने आ जाती हैं
अपने चटख रंग में
जब उन के बीच
कहीं दबा हुआ
पुराना सूखा फूल
ज़मीन पर गिर कर
ले चलता है समय को
उल्टी दिशा में।
~यशवन्त माथुर©
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पुरानी यादों को ताजा करने के कई ्बहाने है..सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteगलते पन्ने पर लिखी इबारत और सूखे फूल यादों के पन्नों के भीतर हमेशा तरोताजा रहता है और सुगंध विखेर रही होती है......
ReplyDeleteगलते पन्ने पर लिखी इबारत और सूखे फूल यादों के पन्नों के भीतर हमेशा तरोताजा रहता है और सुगंध विखेर रही होती है......
ReplyDeleteखूबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनायें
बहुत सुन्दर एहसास
ReplyDeletebhot khub...aapne poorane dino ki yad diladi........
ReplyDeleteसचमुच बिलकुल ताज़ा हो जाती हैं पुरानी यादें... सुन्दर रचना
ReplyDeleteकहीं दबा हुआ
ReplyDeleteपुराना सूखा फूल
ज़मीन पर गिर कर
ले चलता है समय को
उल्टी दिशा में।
आज भी महकता है वो सूखा हुआ फूल....
सचमुच बिलकुल ताज़ा हो जाती हैं पुरानी यादें... सुन्दर रचना
ReplyDeleteसंध्या शर्मा जी की बातों से पूर्णतः सहमत
आपकी यह एक सुंदर कविता है
ReplyDeleteजुडी रहती हैं कुछ यादें उसी सूखे फूल से ...
ReplyDeleteयादों के झरोखे में लौटने का मन ...