चित्र साभार-:http://www.deshbandhu.co.in/ |
धर्म है बिजली।
कटिया कर्म का,
मर्म है बिजली।
बिजली जीवन,
मृत्यु बिजली।
बिजली दाद,
खाज और खुजली।
बिजली त्राही,
परिहास है बिजली।
बिजली मान,
उपहास है बिजली।
बिजली पानी की मोटर है,
बिजली ए सी और कूलर है।
बिजली ब्लॉग, फेसबुक है बिजली,
बिजली मोबाइल और कंप्यूटर है।
बिजली त्रिदेवों की शक्ति है,
बिजली आसक्ति और भक्ति है।
बिजली सुबह, शाम है बिजली,
रातों का आराम है बिजली।
बिजली जाती बिजली आती,
कभी रूलाती कभी हँसाती।
गली गली का शोर है बिजली,
बिजली- बिजली, बिजली- बिजली।
देखो बहुत घनघोर है बिजली।।
~यशवन्त माथुर©
देखो बहुत घनघोर है बिजली।।
ReplyDeleteकल गरज के साथ चमकी बिजली।।
सुन्दर रचना
वाह ...मज़ा आ गया .....बिजली की महिमा अपरम्पार है .....बिजली से हरेक शै हसीं ...बिजली से बुझती गर्मी में प्यास ...बिजली ही एकलौती जीवन की आस
ReplyDeleteलाजवाब
ReplyDeleteअमित श्रीवास्तव अंकल जी की टिप्पणी-
ReplyDeleteबिजली : तुम तो ठहरी परदेसी साथ क्या निभाओगी ।
bahut khoob sab bijlimay ho gaya hai.
ReplyDeleteshubhkamna
आपने लिखा....
ReplyDeleteहमने पढ़ा....
और लोग भी पढ़ें;
इसलिए बुधवार 29/05/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
पर लिंक की जाएगी.
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
लिंक में आपका स्वागत है .
धन्यवाद!
आज के हमारे जीवन में बिजली की बिशेष योगदान है,पूर्णरूपेण हम इस पर आश्रित हैं.सुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteबिजली की महिमा का गुणगान ... इतनी बड़ी है बिजली आज .. क्या कहने ...
ReplyDeleteबहुत खूब कमाल की अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteबहुत खूब कमाल की अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteआज की ज़रूरत है बिजली
ReplyDeleteबिन बिजली सब सून
ReplyDeleteबिजली देवी को नमन..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.
ReplyDeleteवाह बिजली की महिमा के क्या कहने !!!
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