तस्वीर
एक ही होती है
और पहलू दो होते हैं
एक अच्छा लगता है
और सामने दिखता रहता है
दूसरा दीवार से चिपक कर
अंधेरे में रहता है
इंसान भी
तस्वीर की तरह होता है
एक पहलू दिखता है
जो अच्छा लगता है कभी
और कभी खराब दिखता है
और दूसरा पहलू
गुमनाम रह कर
देता रहता है आधार
कल,आज और कल को।
~यशवन्त माथुर©
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और दूसरा पहलू
ReplyDeleteगुमनाम रह कर
डर उसी पहलू से लगता है
हार्दिक शुभकामनायें
बहुत अच्छी प्रस्तुति !! इंसान का दूसरा पहलू.... जो देता रहता है.. आधार कल आज और कल को .
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति !! इंसान का दूसरा पहलू.... जो देता रहता है.. आधार कल आज और कल को .
ReplyDeletebilkul sahi kaha apne....hum sab aise hi tho hai.....umda abhivyakti
ReplyDeletesach kaha apne.....hum sab aise hi tho hain...umda abhivyakti
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति
ReplyDeletebilkul sahi bat ..
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(25-5-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
ReplyDeleteसूचनार्थ!
बहुत अच्छी प्रस्तुति...
ReplyDeleteइंसान भी
ReplyDeleteतस्वीर की तरह होता है
एक पहलू दिखता है.....
गहन बात बेहद सहजता से ...
सचमुच एक तस्वीर ही तो है इंसान....
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteएक बार अवश्य पधारें- तौलिया और रूमाल
सच है भाई ..
ReplyDeleteमंगलकामनाएं आपको !
ऐसी सोच ही अक्सर इंसान को खुद से मिलने का मौका देती हैं....बधाई
ReplyDeleteइंसान वही रहता है तकदीर बदलते रहती है
ReplyDeleteआइना वही रहता है तस्वीर बदलते रहती है
सही कहा आपने
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