संतोष आंटी को लिखने का शौक काफी समय से है और वर्ष 1968 से वह लगातार अपनी डायरी में लिखती आ रही हैं। समय समय पर आकाशवाणी के लखनऊ केंद्र से इनकी कविताएं प्रसारित हो चुकी है।
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संतोष सिंह जी |
नारी ने सहना छोड़ दिया
अपने इन सक्षम हाथों से
भार उठाना सीख लिया।
वो रचती नित आकाश नये
निर्मित करती विन्यास नये
घर के आँगन से दफ्तर तक
गलियों से ले कर पत्थर तक
भू के अंदर भू के ऊपर
अब अंतरिक्ष को भी छू कर
नारी ने परिचय दिया आज
अबला का दामन छोड़ दिया।
नारी.........
सर पर बारिश और धूप लिये
संयम साहस प्रति रूप लिये
हर जगह शक्ति का रूप लिये
अपने अंदर एक हूक लिये
हर कदम वो बढ़ती जाती है
हर जगह वो मंज़िल पाती है।
रुख मोड़ नदी का देती है
रुख देख के बहना छोडना दिया।
नारी........
वो जग पालक वो संहारक
वो जन्म दायिनी और तारक
उसकी सृष्टि है दिग दिगंत
उसकी शक्ति का नहीं अंत
पूजित है सबसे उसका रूप
उसको इस जगत चराचर ने
माया गहनों से जोड़ दिया ।
नारी.......
वो इन्दिरा बनी तो राज़ किया
जब वक़्त पड़ा गोली खाई
वो कल्पना चावला बनी यहाँ
चंदा को छू कर ही आई
ऐसी कुर्वानी दी उसने
इतिहास में पन्ना जोड़ दिया
नारी ने.......
~श्रीमती संतोष सिंह ©
bahut sundar naari ke alakh jagati racna . naari to dhuri hoti ek sambal
ReplyDeleteनारी श्रेष्ठ है ... शक्ति है ...
ReplyDeleteबस उसे जागने की जरूरत है ...
nice .....
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनायें
मुझे आप को सुचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि
ReplyDeleteआप की ये रचना 07-06-2013 यानी आने वाले शुकरवार की नई पुरानी हलचल
पर लिंक की जा रही है। सूचनार्थ।
आप भी इस हलचल में शामिल होकर इस की शोभा बढ़ाना।
मिलते हैं फिर शुकरवार को आप की इस रचना के साथ।
जय हिंद जय भारत...
कुलदीप ठाकुर...
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति बहुत शुभ कम्नाये
ReplyDeleteनारी के अप्रतिम साहस को नमन करती सुंदर पंक्तियाँ..
ReplyDeleteफेसबुक के ग्रुप -CPI ON LINE SUPPORTERS(BIHAAR)में प्राप्त टिप्पानी ---
ReplyDeleteShamim Shaikh : "very good,
5 hours ago · Unlike · 1
Shamim Shaikh system ne logo ki mansikta ko bhi bajaroo bna diya hai yahi karan hai nari ke shosan aor utpeedan ka. system ne paise ka lobh lalach ko badhava dekar parivar me kuroorta aor hinsa ko bdha diya hai"
about a minute ago via mobile · Like
नारी श्रेष्ठ शक्ति है,खूबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDeleteनित नये सोपानों को रचती शक्ति-स्वरूपा नारी पर सुंदर रचना.
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार ४ /६/१३ को चर्चामंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आप का वहां हार्दिक स्वागत है ।
ReplyDeleteखूबसूरत अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति !!
ReplyDeleteनारी ने अबला को सबला में ढाल दिया है । कविता बहुत पसंद आई। बधाई संतोष जी !
ReplyDeleteनारी की ताकत का सुन्दर वर्णन
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना है . सारपूर्ण .
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