14 June 2013

बातें......

रिश्ते कैद हो रहे हैं
मशीनों के भीतर
मुट्ठी में दुनिया है
और ठोकर पर बातें 


कहकहे गुम हो रहे हैं
खामोशियों के भीतर
मीलों आगे है दुनिया
और सदियों पीछे हैं यादें

अब कोई मोल नहीं
कसमों का न वादों का

ये दौर है पल में बनती
पल मे बिगड़ती बातों का

गाँव सिमट रहे हैं
बढ़ते शहरों के भीतर
कंक्रीट हो रही है दुनिया
और जम रही हैं बातें।
~यशवन्त माथुर© 

(आदरणीया शालिनी सक्सेना जी की
फेसबुक पोस्ट पर की गयी टिप्पणी का विस्तारित रूप)

2 comments:

  1. अब कोई मोल नहीं
    कसमों का न वादों का
    ये दौर है पल में बनती
    पल मे बिगड़ती बातों का
    सच्ची अभिव्यक्ति
    हार्दिक शुभकामनायें

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  2. बहुत बहुत बधाइ ब्सुंदर प्रस्तुति..

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