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24 June 2013

जाने क्यों इतना बहता है पानी

जाने क्यों इतना बहता है पानी
अपनी कल-कल में आज रचता
मन में कोई कहानी

ताल तलैया,नदियां सागर
कल्पना के सीप समा कर
कुछ छोड़ किनारे पर करता
रह रह कर अपनी मनमानी

भावना की नौका चलती

सैर कराकर हर कोने की
जब आ किनारे पर लगती
तब भी थमता नहीं पानी

जाने क्यों इतना बहता है पानी
अपनी कल-कल में आज रचता
मन में कोई कहानी

~यशवन्त माथुर©


[एक खास दोस्त की फेसबुक फोटो को देख कर 
मेरे मन में आए विचार जिसे उनके कमेन्ट बॉक्स से यहाँ कॉपी-पेस्ट किया है। ]

11 comments:

  1. आपने लिखा....
    हमने पढ़ा....
    और लोग भी पढ़ें;
    इसलिए बुधवार 26/06/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
    पर लिंक की जाएगी.
    आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    लिंक में आपका स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  2. तरल मन से लिखी कविता.

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  3. तरल मन से लिखी कविता.

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  4. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार २५ /६ /१३ को चर्चा मंच में राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है ।

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  5. भावना की नौका चलती
    सैर कराकर हर कोने की
    जब आ किनारे पर लगती
    तब भी थमता नहीं पानी
    ज्ञान देरी से मिली
    हार्दिक शुभकामनायें

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  6. कौन जान पाया पानी की रवानी

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  7. पानी का तो प्रकृति है बहना। बस ये प्रवाह कष्टदायी ना हो, इसीलिए संतुलन और सीमाबंधन की ज़रूरत पड़ती है.
    सुन्दर रचना के लिए बधाई।

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