जाने क्यों इतना बहता है पानी
अपनी कल-कल में आज रचता
मन में कोई कहानी
ताल तलैया,नदियां सागर
कल्पना के सीप समा कर
कुछ छोड़ किनारे पर करता
रह रह कर अपनी मनमानी
भावना की नौका चलती
सैर कराकर हर कोने की
जब आ किनारे पर लगती
तब भी थमता नहीं पानी
जाने क्यों इतना बहता है पानी
अपनी कल-कल में आज रचता
मन में कोई कहानी
~यशवन्त माथुर©
[एक खास दोस्त की फेसबुक फोटो को देख कर
मेरे मन में आए विचार जिसे उनके कमेन्ट बॉक्स से यहाँ कॉपी-पेस्ट किया है। ]
बहुत खूब ...
ReplyDeleteआपने लिखा....
ReplyDeleteहमने पढ़ा....
और लोग भी पढ़ें;
इसलिए बुधवार 26/06/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
पर लिंक की जाएगी.
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
लिंक में आपका स्वागत है .
धन्यवाद!
acchi kavita
ReplyDeleteतरल मन से लिखी कविता.
ReplyDeleteतरल मन से लिखी कविता.
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार २५ /६ /१३ को चर्चा मंच में राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है ।
ReplyDeleteभावना की नौका चलती
ReplyDeleteसैर कराकर हर कोने की
जब आ किनारे पर लगती
तब भी थमता नहीं पानी
ज्ञान देरी से मिली
हार्दिक शुभकामनायें
sundar rachna ...kyun bahta hai paani
ReplyDeleteउत्क्रुस्त .
ReplyDeleteकौन जान पाया पानी की रवानी
ReplyDeleteपानी का तो प्रकृति है बहना। बस ये प्रवाह कष्टदायी ना हो, इसीलिए संतुलन और सीमाबंधन की ज़रूरत पड़ती है.
ReplyDeleteसुन्दर रचना के लिए बधाई।