मुझे याद हैं
सन्न कर देने वाले
वह पल
जब सुनते ही
'तार' का नाम
छा जाती थी
अजब सी खामोशी
छलक पड़ती थीं आँखें
कभी खुशी में
कभी गम में ।
मुझे याद हैं
त्योहारों पर
भेजे जाने वाले
एक लाइना संदेश ...
लैटर हेड्स पर लिखा
'तार' का पता।
मुझे याद है
वह पल
जब पहली बार सुना था
'तार' का नाम
बचपन में
और चौंक कर देखा था
धातु के एक तार को
बाल सुलभ
उत्सुकता से ।
वह 'तार'....
बेतार का 'तार'
अब हो जाएगा विदा
हमेशा के लिये
बना कर
साक्षी मुझ को
एक युग के
दूसरे युग मे
संक्रमण का।
सोच रहा हूँ
'यश' का अंत
इसी तरह होता है
समय यूं ही
चलता है
अपनी तेज़ चाल......।
~यशवन्त माथुर©
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nice expression of feelings .
ReplyDeleteशुभप्रभात बेटे
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनायें
हर चीज़ का अंत होता ही है नया सामने आता है पुराना विदा लेता है ..... सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन और सुन्दर प्रस्तुती ,धन्यबाद।
ReplyDeleteबहुत सुंदर यशवंत
ReplyDeleteजीवन में अगर कुछ शाश्वत हो तो परिवर्तन....इस विषय को सुंदर अभिव्यक्ति दी है आपने। बधाई !
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