11 July 2013

राम रचि राखा.....

 [अक्सर बात बात पर लोग कहते और लिखते हैं कि होना वही  है जो होना है तो फिर जो कुछ भी बुरा हो रहा है आखिर जगह जगह उस पर वाद और प्रतिवाद क्यों ? आखिर क्यों सामाजिक,आर्थिक और अन्य मुद्दों पर बुद्धिजीवियों और सामान्य जनों द्वारा प्रश्न खड़े किए जाते हैं ? आखिर क्यों बढ़ती महंगाई,दहेज,बेरोजगारी,घोटालों और दुष्कर्मों को ले कर आंदोलन और गिरफ्तारियों की मांगें की जाती हैं ? सब कुछ राम (ऊपर वाले) की मर्ज़ी से हो रहा है तो होने दीजिये। सब उसकी मर्ज़ी। फिर काहे का यह सब ड्रामा ? ......यह पंक्तियाँ इसी सोच का परिणाम हैं।

'होइ है सोई
जो राम रचि राखा'
अपनी समझ में
कुछ नहीं आता

पहाड़ टूटा
आपदा आई
टूटती सांसें
प्रकृति गुस्साई

कहीं कत्ल
कुकर्म कहीं पर
रिश्तों की
टूटती मर्यादा

कोई घर छोड़ भागा फिरता
घिसट घिसट कर खुद को ढोता 
कोई छड़ी से पिट पिट कर भी
कुम्भकर्णी नींद सोता होता

तुलसी तुमने क्या कह डाला
हमने अर्थ का अनर्थ कर डाला
खुद के दोष पर नाम राम का
क्या यही उसी ने रचि राखा ?

~यशवन्त माथुर©

13 comments:

  1. सोचना बनता है .
    प्राकृतिक आपदा ईश्वर या प्रकृति का कोप हो सकता है , मगर जान माल की क्षति कम की जा सकती है इंसानी प्रयासों द्वारा !

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  2. आज हर गलत बंदा खुदा बन जाता है
    खुदा ने अपनी खुदाई नहीं देखी होगी।

    भावपूर्ण कविता हैं

    पधारिये और बताईये  निशब्द

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  3. तुलसी तुमने क्या कह डाला
    हमने अर्थ का अनर्थ कर डाला
    खुद के दोष पर नाम राम का
    क्या यही उसी ने रचि राखा ?
    सच कह डाला ......
    सार्थक अभिव्यक्ति

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  4. 'हमने अर्थ का अनर्थ कर डाला'

    सत्य है!

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  5. मुझे लगता है, सब कुछ वही कर रहा है का अर्थ है कि इस सृष्टि का कार्यकलाप उसकी शक्ति से चल रहा है, किसी कर्म का फल कब, क्या होगा यह भी उसी के हाथ में है, पर मानव के पास कर्म करने की पूरी स्वतन्त्रता है.....

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  6. सही कहा.. हमने अर्थ का अनर्थ कर डाला ...

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  7. बहुत खूब ... ऐसा अक्सर होता है ... सच और भावों में जब अंतर दिखता है ...

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  8. सब के अन्दर वही भगवान् हैं। पर हर किसी ने उनसे साक्षात्कार नहीं किया है। बस तब तक ही प्रश्न हैं; फिर सिर्फ अनंत शान्ति।

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    1. राहुल जी
      भगवान सबके अंदर नहीं बाहर हैं। और हम सब रोज़ ही भगवान से साक्षात्कार करते हैं।

      भगवान=

      भ-भूमि
      ग-गगन
      व-वायु
      ।(आ की मात्रा)-अग्नि
      न-नीर

      मैं इसी भगवान को मानता हूँ।
      बाकी जो है वह मानव निर्मित है।

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  9. बहुत सही कहा..

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  10. बिलकुल सही कहा आपने ,

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  11. आपकी बात से सहमत हूँ

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  12. BEAUTIFUL EXPRESSION WITH DEEP EMOTIONS

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