25 July 2013

तो कैसा हो ?

अब रौनक रहती है
मेरे घर के सामने से
सुबह और शाम
आते जाते  हैं
घर से स्कूल
और स्कूल से घर 
चहकते मुस्कुराते
छोटे छोटे बच्चे
काले गोरे बच्चे
अमीर और गरीब बच्चे
मन के सब ही सच्चे ।  

पीठ पर लटकाए बस्ता
गले मे पानी की बोतल 
दौड़ते भागते
मम्मी-पापा
भाई -बहन से
मचलते बच्चे
गुब्बारे-टॉफियाँ देख
ललचते बच्चे
रोते कभी हँसते बच्चे ।

अपने घर की
बालकनी से
रोज़ निहारता हूँ
सुबह कुछ देर
इन बच्चों को
और सोचता हूँ
यह बच्चे
बच्चे ही रहें हमेशा
तो कैसा हो ?

~यशवन्त माथुर©

11 comments:

  1. हाँ ...पर बचपन जाने कब निकला जाता है और ये बच्चे भी दुनिया भी भागदौड़ का हिस्सा बन जाते हैं

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  2. लेकिन एक दिन बड़ा तो होना पड़ता है,

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  3. शुभप्रभात बेटे
    यह बच्चे
    बच्चे ही रहें हमेशा
    तो कैसा हो ?
    ना कोई मन का मैल मिले
    ना कोई दिल का दिखावा दिखे
    सटीक पोस्ट.....
    हार्दिक शुभकामनायें.....

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  4. आपने लिखा....हमने पढ़ा....
    और लोग भी पढ़ें; ...इसलिए शनिवार 27/07/2013 को
    http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
    पर लिंक की जाएगी.... आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    लिंक में आपका स्वागत है ..........धन्यवाद!

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  5. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(27-7-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
    सूचनार्थ!

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  6. ऐसा हो तो निश्चित ही बहुत अच्छा होगा...!
    उम्र के पड़ाव पार करते हुए भी कुछ मासूमियत बची रहे, और क्या!

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  7. इस दुनिया के भीड़ भाड़ मे् बच्चे कहाँ ,कब खो जाते है पता भी नही चलता है..

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  8. sach hai nirmal man hi rahe hamesha to kitna achha, par aisa kahan hota hai ab to bachchon ka bachpan bhi nirmal nhi reh gaya hai.

    sunder prastuti

    shubhkamnayen

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  9. समय का पहिया रुकता कहाँ है ..काश बचपना लौट आये ...आज के भागमभाग के युग में बच्चों के साथ समय बिताना कितना दुष्कर हो गया है ...सुन्दर भाव
    आभार
    भ्रमर ५

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