26 August 2013

"फेक -स्टिंग - ऋचा " (अनीता राठी जी की कहानी)

(अनीता राठी जी)
दरणीया अनीता राठी जी  ब्लॉग जगत मे अपने ब्लॉग के माध्यम से सक्रिय हैं जहां  समय समय पर अपनी बेहतरीन रचनाएँ साझा करती रहती हैं।

सोशल नेटवर्किंग साइट्स (जैसे फेसबुक) जहां अनेक लोगों से हमे प्रत्यक्ष जुडने और हमारे विचारों पर त्वरित प्रतिक्रिया प्राप्त करने का साधन हैं वही ऐसी साइट्स पर निजी जानकारियाँ साझा करना मुसीबत को दावत देने जैसा हो सकता है

अतः किसी अनजान से कभी भी अपना फोन नंबर या घर का पता साझा न करने का संदेश देती यह कहानी उनकी फेसबुक वॉल से साभार यहाँ भी प्रस्तुत  है-


 "फेक -स्टिंग - ऋचा "

(दोस्तों फेसबुक पर हो रहे क्राइमस की एक दास्ताँ .... एक ऐसी कहानी जो इस सोशल - मीडिया के रिश्तो की एक बानगी प्रस्तुत करती है .... बताइयेगा .... कैसी लगी ...)

टिर्र्र्रिन टिर्रीन .... हेलो ... हे हाई ...

कैसी हो ऋचा ....?... जी ठीक हु ...

कुछ कहो ... ?

में क्या कहूँ .... अरे ... कल इनबॉक्स में तो बहोत मजाक कर रही थी

तो क्या हुआ ...?? मजाक कर रही थी न .... मजाक, हर वक़्त तो नहीं होती ...

नहीं नहीं ... ऋचा तुम्हारी प्रोफाइल पिक बहोत ही ब्यूटीफुल है

अच्छा ......... !

रियली, और सुनाओ क्या क्या शौक है ... तुम्हे पढने लिखने के अलावा ...

दोस्तों से बातें करना , घूमना, वाटर-गेम्स।

अच्छा फिर तो खूब बनेगी हम दोनों में ... मुझे भी घूमने का बहोत शौक है ... चलो न किसी दिन मिलते है हम तो एक ही शहर में रहते है ......

हाँ .... किन्तु ऐसे कैसे ... मैं तो आपको जानती नहीं , पहचानती नहीं ऐसे कैसे में आपके साथ .....

ओह ... ऋचा ... जान भी लेना ... पहचान भी लेना ... मिलो तो ....

नहीं ... नहीं ... किसी ने देखा तो ... नहीं पापा को बुरा लगेगा ..

अरे १-२ घंटे की ही तो बात है ... अच्छा बताओ कब मिल रही हो ...
नहीं मैं नहीं मिल सकती ..... हेलो हेलो ... हेलो हेलोओ .... हे बुरा मान गए ... चलो मिलेंगे .... तब तक बात तो कर सकते है न।

ओह हाँ ... अच्छा ऋचा ... एक बात पूछु आपसे ,... मैं पिछले एक महीने से तुमसे बात कर रहा हु ... तुम्हे तो मेरी याद आती नहीं ... बस मैं ही याद करता हु ... है न ... नहीं आती न मेरी याद ......

ऐसा नहीं है ... दोस्त की याद कैसे नहीं आएगी लेकिन में बहोत ही पारंपरिक परिवार से हु ... संजय ... मेरे पेरेंट्स मुझे अलाऊ नहीं करते और नहीं मैं खुद पसंद करती हु ये सब ....

अरे .... पेरेंट्स का बहाना मत बनाओ ... तुम ही मुझे नहीं चाहती .... अच्छा सच कहो ... ऋचा तुम्हारी लाइफ में मेरी क्या वेल्यु है ..... बस एक दोस्त ..... लेकिन में तो तुम्हे बहोत चाहता हूँ , मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हु , आज कहना ही है

क्या ....???

यही की मैं तुम्हे बहोत चाहने लगा हु , लेकिन ये सब में कह नहीं पाया ... आज लेकिन मैं कहना चाहता हु ... की मैं .... मैं
मैं तुमसे बेहद प्यार करता हु .....

अरे ये सब क्या है .... हम अच्छे दोस्त है , ठीक है पिछले कुछ दिनों से डेली तुम बात करते हो. तो अच्छा लगता है मगर इसका या मतलब कटाई नहीं की मैं तुमसे प्यार व्यार करती हु ... नहीं ... संजय .... plz ... मुझे गलत मत समझो ....

नहीं मैं जानता हु तुम भी मुझे चाहती हो ... कहो तुम मुझे चाहती हो ... हो की नहीं ...
अ अ अ ... हाँ लेकिन एक दोस्त की तरह ...
बस इतना काफी है .... सुनो एक बार मेरी खातिर बोल दो .... वही ढाई अक्षर ... मैं तुम्हारे मुहं से सुनना चाहता हूँ ... ?
हे यू ... तुम पागल हो ... ऐसा नहीं हो सकता , तुम मेरे दोस्त हो सिर्फ दोस्त ....
ठीक है दोस्त को ही बोल दो .... मेरी ख़ुशी के लिए .... plz ... plz ...
अरे ... ओके बाबा ... I Love You ..... अब तो खुश
या थैंक्स ... सुनो कब मिलोगी ....
.... देखेंगे .... ओके अब बाय
बाय ..... ऋचा सोच में पड़ गई , अरे ये मैंने संदीप को क्या बोल दिया ... कहीं वो मुझे सच में न प्यार करने लगे .... न बाबा ना ...

डिनर फिनिश कर ऋचा त.व. देख रही थी की .... फ़ोन फिर से घनघना उठा टिर्र्र्रिन टिर्रीन .... हेलो ... हे हाई ...

कैसी हो ऋचा ....?.

.. जी .

कुछ कहो ... ?

में क्या कहूँ .... अरे ... इस वक़्त फ़ोन ... पापा डांटेंगे ... बंद करो

करता हु बस एक बात कहनि थी .... ऋचा i love you ..... मैं तुम्हारे लिए पागल हो रहा हु ... हर वक़्त बस तुम ही तुम

अर्रर्र्रे ...?? ... ऐसा नहीं कहते ... अपना ख्याल रखो न गुड नाईट बाय

ऋचा एक बार बोल दो .... रिचा ने अनजाने ही बोल दिया i love you ... ताकि घर में किसी को पता न चले की फ़ोन पर बात हो रही है ...सोचा की जल्दी पीछा छूट जायेगा

... ओके माय लव बर्ड ....
उफ़्फ़…. तुम भी न कुछ भी ... कुछ भी बोल देते हो…। चलो कल बात करेंगे ...

सुबहो सुबहो ऋचा ने फ़ोन देखा 5 मिस काल ..... और १ ० सन्देश .... सब में एक ही बात i love you ऋचा .... ऋचा को भी न जाने क्यों न चाहते हुए भी वो शब्द अच्छे लगने लगे .... ... घर के सब लोग अपने अपने कम में व्यस्त थे ..... ऋचा ... भी कोर्स
की किताब उठा पढने लगी ...... छत पर अकेले थी .... की फिर से फ़ोन पर घंटी सुनाई दी ... फ़ोन उठाया देखा .... संजय .ही था ... हे .... गुड मोर्निंग ... लव बर्ड ....
गुड मोर्निंग .... सुनो ये क्या है .... रात २ बजे काल . ... फिर .. ३. बजे ... फिर ४ बजे ... ५ बजे .... सोये नहीं रात भर ... पागल हो .....
हाँ ऋचा तुम्हारे साथ को तरसता रहा पूरी रात ... अब आँखें भारी हो रही है ...

तो सो जाओ ....

तुम सुला दो .... मैं सोच रहा हु ... तुम मेरे पास हो , मेरा सर तुम्हारी गोद में है , तुम मेरे माथे को सहला रही हो ... फिर ... अचानक मैंने तुम्हे अपनी बांहों में कस के पकड़ लिया और .... और ऋचा ... और मैं तुम्हे बेतहाशा ... प्यार करने लगा ....

ओह ...हे ... हेलो ... इतना मत ऊडो .... जमीं पे रहो मजनू .... ये पागलपन है

हाँ ऋचा मैं पागल हो गया हु तुम्हारी आवाज़ , तुम्हारी तस्वीर , तुम .... मुझे पागल कर रही हो .... ..... प्ल्ज़ एक बार कह दो
मैं जो सुनना चाहता हु ...........

ऋचा मारे डर के कोई ऊपर न आजाये ..... तुरंत बोल पडी ... Ya . संजय . ... आई लव यू टू .... टू मच .... मिस यू ... लव यू ..... ओके नाऊ बाय ....

बाय बेबी ........

पागल .... कहीं के ... । इतना कह ऋचा ने फ़ोन काट दिया ..... दुसरे दिन फेस बुक पर एक नयी रिक्वेस्ट देखि दोस्ती के लिए ... देखा प्रोफाइल ठीक था ... ऐड कर लिया ..... कुछ देर इनबॉक्स में जान पहचान की बातें हुई ... ऋचा भोली सीधी खुद और सीधी ही उसकी दुनिया .... दोस्तों से गप्पें मरना , पढना या घर का काम .... और मस्त रहना ... बातों बातों में .... मयंक ने नम्बर माँगा उसने दे दिया ...... क्या हुआ .... बात ही तो करेगा ... वहां दूर कश्मीर से चल कर आ थोड़े ही जायेगा ...... चलो कोई नहीं

टिर्र्र्रिन टिर्रीन .... हेलो ... हे हाई ...

कैसी हो ऋचा ....?... जी ठीक हु ...

कुछ कहो ... ?

क्या कहु ... तुम बताओ कैसे हो , क्या कर रहे हो , खाना खा लिया या नहीं , पढने में क्या पसंद है ,.... फिक्शन या पोएट्री
.....और फिर ... मयंक भी ऋचा को ... दिन में १० - १० बार फ़ोन करता ..... और अंत में वही सब बातें ... घुमा फिर कर .... ऋचा से ... लव यू , लव यू बुलवा लेना .... ..................

फिर वही एक दो दिन में कोई और नयी दोस्ती की गुजारिश ... वही फ़ोन नंबर लेना और धीरे धीरे वही सब बातें ........... और एक दिन ......

हेलो ...आर यू ऋचा स्पीकिंग ...

जी येस्स. ... लेकिन मैंने आपको पहचाना नहीं .....

ऋचा .... ये अकाउंट नंबर है ... इसमें आपको एक लाख रुपये जमा करने है ....

व्हाट ..... लेकिन क्यों ... ...

आप धंधा करती है .... आपके कितने लडको से गलत ताल्लुक है ..... आअप या तो ये पैसा जमा करवा दे या कल सुबहो आपको पता चल जायेगा .....

ऋचा ने दर के मारे फ़ोन काट दिया ..... सुबहो के इन्तिज़ार में पूरी रात आँखों में काटी .... करीब ... ९ बजे एक फ़ोन आया ...कैसी हो मैडम .... अपने अमाउंट नहीं डाला ....

जी देखिये मेरी कोई गलती नहीं , और न ही मेरा किसी से कोई ऐसा वैसा रिलेशन है .... और ... न ही मेरे पास इतना बड़ा अमाउंट है .....

हमें नहीं पता .... ठीक है तो फिर अपना फेसबुक ओपन करो और देखो आज की तजा खबर

व्हाट ..... व्हाट इस थिस ........... दिस इस फ्रॉड ..... बोगस .... इ कानन'ट बिलीव एट ....

फेसबुक पर ऋचा की आवाज़ वाले ... कुछ ऐसे पिक्स थे .... जो ट्रिक फोटोग्राफी से बनाये गए थे ...... ऋचा की आवाज ... ऋचा का फोटो .... पोर्न साईट पर .... ऋचा को कुछ नहीं सुझा ... हाथ पैर सुन्न हो गए , दिमाग ने कहा अब तुम कहीं की नहीं .... रही पूरी दुनिया ने इसे देखा है .... सुना है ... हाँ मेरी ही आवाज है ये .... और ऋचा को .... चक्कर आ गया ..... वहीँ धम्म से गिर पड़ी .... ... आवाज सुन माँ ने कमरे में झाँक कर देखा ... ऋचा बच्चे क्या हुआ .... क्या हुआ गुडिया .... उठ तो .... उठ ... अरे कोई पानी लाओ देखो तो रिची को क्या हो गया है ........ माँ ... की ममता इतनी तड़प उठी .... की ऋचा कैसे न उठती ... ऋचा ने आँखे खोली .... और खुद को माँ की गोद में देख ... फुट फुट कर रोने लंगी ... भैया अपने दोस्त के साथ बातें कर रहे थे ... वो भी कमरे में आ गए .... सारा मंजर देखा ... क्या हुआ मेरी गुडिया सी बहन को ..... भैया मुझे बचाओ ... मैंने कुछ नहीं किया ... कुछ नहीं किया ... मैं ऐसी नहीं हु ....

इतनी देर में भैया के दोस्त ने ...सामने स्क्रीन पर .... सब कुछ देखा पढ़ा ... फ़ोन चेक किया ... ..... ओह तो ये है फसाद
... हे .... राकेश देख तो यार ...... ये क्लिपिंग देख ....

ओह .... अरे ऋचा .... कंप्यूटर इंजिनियर की बहन हो कर भी इतना भी नहीं समझती के तुम्हारे पेरेंट्स ये सब नॉन सेन्स से डगमग होने वाले नहीं .... बस तुम्हारी ... छोटी सी मिस्टेक थी की तुम उनकी इमोशनल ब्लाच्क्मैलिंग की शिकार हो गयी और दूसरी गलती .... अनजान इंसान को अपना नंबर दे दिया .....

भूल जाओ ... इस बकवास को हम देख लेंगे ... तुम बे फ़िक्र रहो ... मुझे तुम पर पूरा विश्वास है .... पूरा दिन घर में रहती हो , अपने अदब से जाना , अदब से आना है तुम्हारा ... तुम्हे बिलकुल दुखी नहीं होना ब्लकि अपनी दोस्तों को भी कहो की इन्टरनेट के इस ज़माने में .... ऐसी बातो के कोई मायने नहीं .... अपने पर विश्वास रखो और अनजान लोगो से अपना फ़ोन नंबर शेयर नहीं किया करो ....

अगले दिन .... भाई ने सारे फोन न . .... की ... पुलिस आईटी क्राइम सेल में शिकायत दर्ज करवाई तो पता चला की ये लोग भोले भले लोगो को यु ही लूट ते है ... पुलिस ने ट्रेस कर ... दबिश दी ... तो पता चला की ...... एक शख्स ... अलग अलग नम्बरों से ऋचा को बेवकूफ बना लूटने की फिराक में था ...... मगर ... भाई की हिम्मत और समझदारी ने ऋचा को बर्बाद होने से बचा लिया था। घर पहुच कर ... जल्दी से स्टेटस अपडेट किया ...... हे फ्रेंड्स ............................


~अनीता राठी ©

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13 comments:

  1. Thanks Yashwant ji ... for sharing ..with all honourable words .. Regards .

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  2. सही और शिक्षाप्रद कहानी | बधाई

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  3. सोशल नेटवर्किंग साइड पर कुछ भी सोच समझ कर शेयर करना चाहिए बहुत सही कहानी धन्यवाद... !!

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  4. ऐसा भी हो सकता है
    बियाण्ड इमेजिनेशन.....

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  5. सोशल नेटवर्किंग साइड पर आज कल कुछ ऐसा ही हो रहा है,

    RECENT POST : पाँच( दोहे )

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  6. आपकी इस उत्कृष्ट रचना की चर्चा कल मंगलवार २७ /८ /१३ को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका हार्दिक स्वागत है।

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  7. अच्छी चेतावनी दी है !

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  8. बढिय, शिक्षाप्रद ..

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  9. Thanks for sharing this information with us..

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  10. उफ....ये भी होता है...अच्‍छी लगी कहानी

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  11. सोशल नेटवर्किंग के दुष्प्रभाव से सावधान करती बहुत अच्छी पोस्ट ….

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