नहीं
मैं अंधेरे में
काले आसमान से
बातें नहीं करता
नहीं
मैं रोशनी में
चमकते चाँद तारों से
बातें नहीं करता
नहीं
मैं आस पास बिखरे
रिश्ते नातों से
बातें नहीं करता
क्योंकि
मैं बातें करता हूँ
भाव शून्य दीवारों से
क्योंकि
मैं बातें करता हूँ
बंद कमरों पर लटके तालों से
मेरी बेमतलब
बातों को
हर कोई
समझ नहीं सकता
मैं इसीलिए
खुद से भी
खुद की
बातें नहीं करता।
~यशवन्त यश©
मैं अंधेरे में
काले आसमान से
बातें नहीं करता
नहीं
मैं रोशनी में
चमकते चाँद तारों से
बातें नहीं करता
नहीं
मैं आस पास बिखरे
रिश्ते नातों से
बातें नहीं करता
क्योंकि
मैं बातें करता हूँ
भाव शून्य दीवारों से
क्योंकि
मैं बातें करता हूँ
बंद कमरों पर लटके तालों से
मेरी बेमतलब
बातों को
हर कोई
समझ नहीं सकता
मैं इसीलिए
खुद से भी
खुद की
बातें नहीं करता।
~यशवन्त यश©