19 September 2013

आज भर गयी ख्यालों की गुल्लक तो.....

आज भर गयी ख्यालों की गुल्लक
तो उसे तोड़ कर देखा
भीतर जमा मुड़ी पर्चियों को
खोल कर देखा
किसी में लिखा था संदेश
आसमान के तारे गिनने का
किसी में लिखा था स्वप्न
मावस में चाँद के दिखने का
किसी में बना था महल
गरीब के झोपड़ के भीतर
किसी में अनपढ़ पढ़ा रहा था
जीवन के शब्द और अक्षर
अनगिनत इन पर्चियों पर
कल्पना के हर रूप को देखा
आज भर गयी ख्यालों की गुल्लक
तो उसे तोड़ कर देखा।
~यशवन्त यश©

12 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति..

    हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल आज की चर्चा : दिशाओं की खिड़की खुली -- हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल : चर्चा अंक :006

    ललित वाणी पर : जिंदगी की नई शुरूवात

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  2. उसमें दिखे मेरी शुभकामनायें अनन्त

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  3. वाह.. क्या बात है..

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  4. ख्यालों की गुल्लक कभी भारती नहीं...नित नयी पर्चियां डालने के बाद भी....

    बहुत सुन्दर!!

    सस्नेह
    अनु

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  5. बढ़िया लिखा यशवंत

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  6. khyaalon ki ye gullak kabhi naa reete .. iske hone se hamaare sapne jawaan hai aur hamaari zindgiyaan roshan hain ..

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  7. यही तो है जिंदगी है... रोज नए पर्चियां और पूरा करने की कोशिश....

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  8. bilkul sahi kaha tabhi to wo khayal hai .....very nice ....

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  9. खुबसूरत ख्याल की गुल्लक

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  10. बेहतरीन अभिवयक्ति.....

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  11. नई रुपरेखा..सुंदर भाव !

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