सड़क किनारे
ठौर जमाए
बैठा है एक दीये वाला
भूख की आग में
तपी मिट्टी से
हर घर रोशन करने वाला
उसके आगे ढेर सजे हैं
तरह तरह के आकार ढले हैं
वो है खुशियाँ देने वाला
मोल भाव में वो ही फँसता
वो ही महंगा वो ही सस्ता
फिर भी मुस्कान की चादर ओढ़े
बैठा है एक दीये वाला।
~यशवन्त यश©