यह वो कल नहीं
कभी जिसके बारे में
तुमने सोचा था
यह वो कल नहीं
कभी जिसके कारण
तुमने सब कुछ छोड़ा था
यह वो कल नहीं
कभी जिसके सुनहरे स्वप्न
तुम्हें हर रोज़ आते थे
यह वो कल नहीं
कभी जिसके लिये
तुम राम धुन को गाते थे
नहीं! नहीं!! नहीं!!!
यह वो कल नहीं; स्वार्थी आज है
जिसके बटुए में बंद
तुम्हारा मूलधन और ब्याज है
यह वो कल नहीं
करती जिसको रोशन राजघाट है
तीनों बुराई* मे रचा बसा
यह उल्टा पुल्टा आज है।
~यशवन्त यश©
*तीनों बुराई-बुरा मन देखो
बुरा मत सुनो
बुरा मत बोलो
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (02-10-2013) नमो नमो का मन्त्र, जपें क्यूंकि बरबंडे - -चर्चा मंच 1386 में "मयंक का कोना" पर भी है!
महात्मा गांधी और पं. लाल बहादुर शास्त्री को श्रद्धापूर्वक नमन।
दो अक्टूबर की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बाबा आज बस कैश कराया जाता है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति !
ReplyDeleteनवीनतम पोस्ट मिट्टी का खिलौना !
नई पोस्ट साधू या शैतान
बिल्कुल सच कहा आपने
ReplyDeleteसार्थक विचार ....
ReplyDeleteबहुत प्रभावी रचना ... सच में आज कैसा है ...
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति यशवंत भाई। गांधीजी के सपनों को पूरा करने में हम अपना बूँद-बूँद भी योगदान दें, तो उनके सपनों का सागर भर जाएगा - शायद यही प्रतिबद्धता चाहिए। आशान्वित हूँ।
ReplyDeleteसादर
मधुरेश
सच्चा लिखा है. उनकी आत्मा को वेदना जरूर हो रही होगी आज का हाल देखकर.
ReplyDeleteसही बात आज में कल जैसी बात कहाँ...
ReplyDeleteबापू को नमन...
BEHATARIN ABHIWYAKTI BADHAI
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