प्रतिलिप्याधिकार/सर्वाधिकार सुरक्षित ©

इस ब्लॉग पर प्रकाशित अभिव्यक्ति (संदर्भित-संकलित गीत /चित्र /आलेख अथवा निबंध को छोड़ कर) पूर्णत: मौलिक एवं सर्वाधिकार सुरक्षित है।
यदि कहीं प्रकाशित करना चाहें तो yashwant009@gmail.com द्वारा पूर्वानुमति/सहमति अवश्य प्राप्त कर लें।

13 October 2013

दशहरा मुबारक- दशहरा मुबारक

दशहरा मुबारक- दशहरा मुबारक। 
भीड़ को चीरता हर चेहरा मुबारक।
हर बार की तरह राम रावण भिड़ेंगे। 
तीरों से कट कर दसों सिर गिरेंगे। 
दिशाओं को घमंड की दशा ये मुबारक।
दशहरा मुबारक- दशहरा मुबारक। 

दशहरा मुबारक- दशहरा मुबारक। 
महंगाई में भूखा हर चेहरा मुबारक।
गलियारे दहेज के हर कहीं मिलेंगे। 
बेकारी मे किसान कहीं लटके मिलेंगे।
मिलावट का आटा-घी-तेल मुबारक। 
दशहरा मुबारक- दशहरा मुबारक ।

दशहरा मुबारक- दशहरा मुबारक। 
रातों में हर उजला सवेरा मुबारक।
कहीं फुटपाथों पे लोग सोते मिलेंगे। 
जिंदगी से हार कर कहीं रोते मिलेंगे।
हम ही राम- रावण,यह लीला मुबारक।
दशहरा मुबारक- दशहरा मुबारक ।।

-यशवन्त माथुर©

9 comments:

  1. बहुत सुन्दर व्यंग्य. दशहरा मुबारक

    ReplyDelete
  2. अंदर के रावण को मारने की जरूरत है आज ...
    अच्छा व्यंग है ...
    दशहरा की मंगल कामनाएं ...

    ReplyDelete
  3. आपको भी दशहरा मुबारक... !

    ReplyDelete
  4. आपकी इस प्रस्तुति की चर्चा कल सोमवार [14.10.2013]
    चर्चामंच 1398 पर
    कृपया पधार कर अनुग्रहित करें |
    रामनवमी एवं विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाओं सहित
    सादर
    सरिता भाटिया

    ReplyDelete
  5. विजया दशमी की हार्दिक शुभकामनायें
    स्वस्थ्य और सफल दीर्घायु हो

    ReplyDelete
  6. अच्छा व्यंग ,पर बहुत कठिन है आज चारों तरफ बैठे रावणों से बचना

    ReplyDelete
  7. अच्छा व्यंग ,पर बहुत कठिन है आज चारों तरफ बैठे रावणों से बचना

    ReplyDelete
  8. dashera ke madhyam se bahut achha vyang kiya hai aapne.

    shubhkamnayen

    ReplyDelete
+Get Now!