दशहरा मुबारक- दशहरा मुबारक।
भीड़ को चीरता हर चेहरा मुबारक।
हर बार की तरह राम रावण भिड़ेंगे।
तीरों से कट कर दसों सिर गिरेंगे।
दिशाओं को घमंड की दशा ये मुबारक।
दशहरा मुबारक- दशहरा मुबारक।
दशहरा मुबारक- दशहरा मुबारक।
महंगाई में भूखा हर चेहरा मुबारक।
गलियारे दहेज के हर कहीं मिलेंगे।
बेकारी मे किसान कहीं लटके मिलेंगे।
मिलावट का आटा-घी-तेल मुबारक।
दशहरा मुबारक- दशहरा मुबारक ।
दशहरा मुबारक- दशहरा मुबारक।
रातों में हर उजला सवेरा मुबारक।
कहीं फुटपाथों पे लोग सोते मिलेंगे।
जिंदगी से हार कर कहीं रोते मिलेंगे।
हम ही राम- रावण,यह लीला मुबारक।
दशहरा मुबारक- दशहरा मुबारक ।।
-यशवन्त माथुर©
दशहरा मुबारक!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर व्यंग्य. दशहरा मुबारक
ReplyDeleteअंदर के रावण को मारने की जरूरत है आज ...
ReplyDeleteअच्छा व्यंग है ...
दशहरा की मंगल कामनाएं ...
आपको भी दशहरा मुबारक... !
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति की चर्चा कल सोमवार [14.10.2013]
ReplyDeleteचर्चामंच 1398 पर
कृपया पधार कर अनुग्रहित करें |
रामनवमी एवं विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाओं सहित
सादर
सरिता भाटिया
विजया दशमी की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteस्वस्थ्य और सफल दीर्घायु हो
अच्छा व्यंग ,पर बहुत कठिन है आज चारों तरफ बैठे रावणों से बचना
ReplyDeleteअच्छा व्यंग ,पर बहुत कठिन है आज चारों तरफ बैठे रावणों से बचना
ReplyDeletedashera ke madhyam se bahut achha vyang kiya hai aapne.
ReplyDeleteshubhkamnayen