'पंक्तियों' की श्रेणी में यह मेरे जीवन और इस ब्लॉग की 500 वीं पोस्ट है। जबकि कुल प्रकाशित पोस्ट्स की संख्या 559 हो चुकी है। आप सभी के आशीर्वाद और निरंतर मिल रहे स्नेह के लिए हार्दिक आभारी हूँ।
रंगीन फूलों से महकते
उस बगीचे में
रोज़ दिन भर
उड़ान भरती हैं
रंगीन तितलियाँ
न जाने कौन सी
बात करती हैं
अपनी ज़ुबान में
सुन कर जिसे मुस्कुराती हैं
फूलों की पंखुड़ियाँ
मेड़ पर लगी ईंटों से
कभी पत्थरों से
अनजान हवा में बहती
चलती हैं तितलियाँ
मैंने पकड़ना तो बहुत चाहा
पर खुद को ही रोक लिया
कैद में रह कर उदास
हो जाती हैं तितलियाँ
खिले मौसम की
खिली खिली बहारों में
या बारिश की रिमझिम
बरसती फुहारों में
हँसते फूलों से प्यार
जताती हैं तितलियाँ
अपनी मस्ती में कुछ
कहती जाती हैं तितलियाँ।
~यशवन्त यश©
चित्र: विभा आंटी की फेसबुक से |
उस बगीचे में
रोज़ दिन भर
उड़ान भरती हैं
रंगीन तितलियाँ
न जाने कौन सी
बात करती हैं
अपनी ज़ुबान में
सुन कर जिसे मुस्कुराती हैं
फूलों की पंखुड़ियाँ
मेड़ पर लगी ईंटों से
कभी पत्थरों से
अनजान हवा में बहती
चलती हैं तितलियाँ
मैंने पकड़ना तो बहुत चाहा
पर खुद को ही रोक लिया
कैद में रह कर उदास
हो जाती हैं तितलियाँ
चित्र: विभा आंटी की फेसबुक से |
खिली खिली बहारों में
या बारिश की रिमझिम
बरसती फुहारों में
हँसते फूलों से प्यार
जताती हैं तितलियाँ
अपनी मस्ती में कुछ
कहती जाती हैं तितलियाँ।
~यशवन्त यश©
बचपन में जी भर के देखी थी... बड़े शहरों में दिखाई भी नहीं देती ये तितलियां..
ReplyDeleteहम बड़े क्या हो गये.. ग़ायब ही हो गईं ये तितलियां ।।
conratulations...aap yuh hi likhte rahe.....
ReplyDeleteमन के सुन्दर भाव तितलियो के संग..खुबसूरत पंक्तियाँ..५००वी पोस्ट के लिए बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं
ReplyDelete५०० वीं पोस्ट के लिए बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteऔर आने वाले ५०००००००००००००००००००० वीं पोस्ट के लिए
हार्दिक शुभकामनायें
गूगल का आभार समझ में आता है
हक को आभार का नाम देना खटक गया
उम्मीद है हटा देंगे
रचना बहुत सुन्दर है
ओके आंटी 'साभार' शब्द हटा देता हूँ लेकिन फोटो का क्रेडिट तो आपको मिलना चाहिए न :)
Deleteसादर
बेटे के एक मुस्कान के आगे क्रेडिट का क्या मोल
Deleteaajkal titli shabd k anek arth aur upmaayein ho gai hain .. aur is seedhe saade praani ko toh ab sach mein public garden mein talaashna padta hai .. dikhe toh fotu kheench k logon ko dikhaate hain varna pollution ki maar titli laachaar ..
ReplyDeleteयहाँ तितली का अर्थ तितली ही है मैम
Deleteसुन्दर. आपकी पंक्तियाँ बहुत गहरी संवेदनाओं से उठ के आती हैं. ऐसे ही लिखते रहें. बधाई और शुभकामनायें.
ReplyDeletesunder rachna
ReplyDeletebadhai
shubhkamnayen
संवेदना ओर प्रेम की महक लिए आपकी ५००वी रचना की बधाई ...
ReplyDeleteऐसे ही लिखते रहें ... बधाई ...
५००वीं रचना की बधाई...यूँ ही सृजन जारी रहे...शुभकामनाएँ!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!
ReplyDeleteबधाई!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति..
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की इस प्रविष्टि की चर्चा शनिवार 19/10/2013 को प्यार और वक्त...( हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल : 028 )
- पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर ....
कहाँ से खोज कर लाते हैं यश जी इतने सुन्दर शब्द ...........कविता पढ़ कर निशब्द हूँ कुछ नहीं सूझ रहा क्या लिखूं सिर्फ इतना कह सकती हूँ अद्भुत बचपन में खीच ले गए आप
ReplyDeleteकहा से खोज लाते हैं इतने प्यारे शब्द यश जी ...........कविता पद कर निशब्द हो गई हूँ सिर्फ इतना कह सकती हूँ अद्भुत
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