प्रतिलिप्याधिकार/सर्वाधिकार सुरक्षित ©

इस ब्लॉग पर प्रकाशित अभिव्यक्ति (संदर्भित-संकलित गीत /चित्र /आलेख अथवा निबंध को छोड़ कर) पूर्णत: मौलिक एवं सर्वाधिकार सुरक्षित है।
यदि कहीं प्रकाशित करना चाहें तो yashwant009@gmail.com द्वारा पूर्वानुमति/सहमति अवश्य प्राप्त कर लें।

16 October 2013

तितलियाँ....

'पंक्तियों' की श्रेणी में यह मेरे जीवन और इस ब्लॉग की 500 वीं पोस्ट है। जबकि कुल प्रकाशित पोस्ट्स की संख्या 559 हो चुकी है। आप सभी के आशीर्वाद और निरंतर मिल रहे स्नेह के लिए हार्दिक आभारी हूँ।

चित्र: विभा आंटी की फेसबुक से
रंगीन फूलों से महकते
उस बगीचे में
रोज़ दिन भर
उड़ान भरती हैं
रंगीन तितलियाँ
न जाने कौन सी
बात करती हैं
अपनी ज़ुबान में
सुन कर जिसे मुस्कुराती हैं
फूलों की पंखुड़ियाँ

मेड़ पर लगी ईंटों से
कभी पत्थरों से
अनजान हवा में बहती
चलती हैं तितलियाँ
मैंने पकड़ना तो बहुत चाहा
पर खुद को ही रोक लिया
कैद में रह कर उदास
हो जाती हैं तितलियाँ

चित्र: विभा आंटी की फेसबुक से
खिले मौसम की
खिली खिली बहारों में
या बारिश की रिमझिम
बरसती फुहारों में
हँसते फूलों से प्यार
जताती हैं तितलियाँ
अपनी मस्ती में कुछ
कहती जाती हैं तितलियाँ। 

~यशवन्त यश©

16 comments:

  1. बचपन में जी भर के देखी थी... बड़े शहरों में दिखाई भी नहीं देती ये तितलियां..
    हम बड़े क्या हो गये.. ग़ायब ही हो गईं ये तितलियां ।।

    ReplyDelete
  2. conratulations...aap yuh hi likhte rahe.....

    ReplyDelete
  3. मन के सुन्दर भाव तितलियो के संग..खुबसूरत पंक्तियाँ..५००वी पोस्ट के लिए बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  4. ५०० वीं पोस्ट के लिए बहुत बहुत बधाई
    और आने वाले ५०००००००००००००००००००० वीं पोस्ट के लिए
    हार्दिक शुभकामनायें
    गूगल का आभार समझ में आता है
    हक को आभार का नाम देना खटक गया
    उम्मीद है हटा देंगे
    रचना बहुत सुन्दर है

    ReplyDelete
    Replies
    1. ओके आंटी 'साभार' शब्द हटा देता हूँ लेकिन फोटो का क्रेडिट तो आपको मिलना चाहिए न :)

      सादर

      Delete
    2. बेटे के एक मुस्कान के आगे क्रेडिट का क्या मोल

      Delete
  5. aajkal titli shabd k anek arth aur upmaayein ho gai hain .. aur is seedhe saade praani ko toh ab sach mein public garden mein talaashna padta hai .. dikhe toh fotu kheench k logon ko dikhaate hain varna pollution ki maar titli laachaar ..

    ReplyDelete
    Replies
    1. यहाँ तितली का अर्थ तितली ही है मैम

      Delete
  6. सुन्दर. आपकी पंक्तियाँ बहुत गहरी संवेदनाओं से उठ के आती हैं. ऐसे ही लिखते रहें. बधाई और शुभकामनायें.

    ReplyDelete
  7. संवेदना ओर प्रेम की महक लिए आपकी ५००वी रचना की बधाई ...
    ऐसे ही लिखते रहें ... बधाई ...

    ReplyDelete
  8. ५००वीं रचना की बधाई...यूँ ही सृजन जारी रहे...शुभकामनाएँ!!

    ReplyDelete
  9. बहुत सुन्दर!

    बधाई!

    ReplyDelete

  10. बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की इस प्रविष्टि की चर्चा शनिवार 19/10/2013 को प्यार और वक्त...( हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल : 028 )
    - पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर ....

    ReplyDelete
  11. कहाँ से खोज कर लाते हैं यश जी इतने सुन्दर शब्द ...........कविता पढ़ कर निशब्द हूँ कुछ नहीं सूझ रहा क्या लिखूं सिर्फ इतना कह सकती हूँ अद्भुत बचपन में खीच ले गए आप

    ReplyDelete
  12. कहा से खोज लाते हैं इतने प्यारे शब्द यश जी ...........कविता पद कर निशब्द हो गई हूँ सिर्फ इतना कह सकती हूँ अद्भुत

    ReplyDelete
+Get Now!