सड़क किनारे
ठौर जमाए
बैठा है एक दीये वाला
भूख की आग में
तपी मिट्टी से
हर घर रोशन करने वाला
उसके आगे ढेर सजे हैं
तरह तरह के आकार ढले हैं
वो है खुशियाँ देने वाला
मोल भाव में वो ही फँसता
वो ही महंगा वो ही सस्ता
फिर भी मुस्कान की चादर ओढ़े
बैठा है एक दीये वाला।
~यशवन्त यश©
बहुत सुन्दर, मुझे भी बहुत अच्छे लगते हैं...ये दिये वाले.
ReplyDeleteबहुत सुंदर और सटीक...
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत ...दियेवाला .....
ReplyDeleteह्रदय छू लिया आपकी पंक्तियों ने.
ReplyDeletedil ko chhone wali kavita
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ,
ReplyDeleteआज के परिदृश्य में देखे तो हर आम आदमी एक दिए वाले कि तरह ही है,
Bahut Bhavpoorn
ReplyDeleteबहुत सुन्दर संवेदनशील अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteपूरी दीवाली का दृश्य सामने आ गया
सार्थक अभिव्यक्ति
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनायें