03 November 2013

मुनिया की दीवाली

सभी पाठकों को दीवाली की अशेष शुभ कामनाएँ!

आज फिर दीवाली है
आज की रात
आसमान गुलज़ार रहेगा
आतिशबाज़ी के रंगों से
और ज़मीं पर
सजी रहेंगी महफिलें
जश्न और ठहाकों की

मेरे घर के पास रहने वाली
नन्ही मुनिया
मैली से फ्रॉक पहने
कौतूहल से देखती है
इन सब
सपनीली रंगीनीयों को
हर साल
वह बढ़ती है
एक दर्जा उम्र का
मनाती है अपना त्योहार
हर दीवाली की पड़वा को
क्योंकि मावस के बाद की हर सुबह
उसे मिलता है स्वाद
ज़मीं पर बिखरे पत्तलों से चिपके
खील बताशे और
स्वादिष्ट मिठाइयों के
अवशेषों का ।

~यशवन्त यश©

12 comments:

  1. बहुत सुंदर !!
    दीपावली कि हार्दिक शुभकामना !!

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (03-11-2013) "बरस रहा है नूर" : चर्चामंच : चर्चा अंक : 1418 पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का उपयोग किसी पत्रिका में किया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    प्रकाशोत्सव दीपावली की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. बहुत ही भावपूर्ण रचना...

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  4. दीपावली कि हार्दिक शुभकामनाएँ...
    :-)

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  5. वाह, कमाल की रचना है.

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  6. गरीब जिस दिन नया कपडा पहनता है उसदिन उसका दिवाली
    जिसदिन भर पेट भोजन करता उसदिन होता है उसका होली
    नई पोस्ट आओ हम दीवाली मनाएं!

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  7. असल दिवाली तो तब है जब मुनिया भी पटाखे छोड़े ...
    दीपावली के पावन पर्व की बधाई ओर शुभकामनायें ...

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  8. बहुत सुन्दर. दीपोत्सव की मंगलकामनाएँ !!
    नई पोस्ट : कुछ भी पास नहीं है

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  9. कड़वी अच्छाई
    सार्थक अभिव्यक्ति
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें

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  10. व्यथित करती है ये कड़वी सच्चाई यशवंत ..... शुभकामनायें

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  11. वाह!!! बहुत सुंदर !!!!!
    उत्कृष्ट प्रस्तुति
    बधाई--

    उजाले पर्व की उजली शुभकामनाएं-----
    आंगन में सुखों के अनन्त दीपक जगमगाते रहें------

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  12. दीवाली की शुभकामनाएं.

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