फोटो साभार-भावना जी की फेसबुक वॉल |
तन नहीं मन भिगोती हैं,
देखो बरसती ये बूंदें
मुस्कुरा कर गिरती हैं,
कहीं खो जाती हैं ये बूंदें
हर बार सोचता हूँ सहेज लूँगा
कुछ बूंदें मन की प्याली में
चूक जाता हूँ फिर भी
न जाने किस बेख्याली में
आना जाना जिंदगी का
सिखा देती हैं ये बूंदें
गम ओ खुशी की बारिश बन
कभी हँसा देती हैं ये बूंदें ।
देखो बरसती ये बूंदें
मुस्कुरा कर गिरती हैं,
कहीं खो जाती हैं ये बूंदें
हर बार सोचता हूँ सहेज लूँगा
कुछ बूंदें मन की प्याली में
चूक जाता हूँ फिर भी
न जाने किस बेख्याली में
आना जाना जिंदगी का
सिखा देती हैं ये बूंदें
गम ओ खुशी की बारिश बन
कभी हँसा देती हैं ये बूंदें ।
~यशवन्त यश©
वाह यशवंत जी, बहुत सुन्दर....
ReplyDeleteसकारात्मक विचारों का आलोड़न ...... शुभकामनाये !!!
ReplyDeleteखुबसूरत प्रस्तुती....
ReplyDeleteकहाँ से शुरू करूँ ........
ReplyDeletephoto courtesy Google ki hai .. varna google wale mujhe aur aapko dono ko sue kar dete hain. kavita toh badiya likhi hai .. short n sweet
ReplyDeleteबहुत सुन्दर .
ReplyDeleteनई पोस्ट : उर्जा के वैकल्पिक स्रोत : कितने कारगर
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (08-11-2013) को "चर्चा मंचः अंक -1423" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है.
ReplyDeleteअमृत सी ये बूँदे......भिगोती रहें सदा !!
ReplyDeleteसस्नेह
अनु
बहुत ही सुन्दर और प्यारी रचना...
ReplyDelete:-)
बून्द बून्द झरते भाव
ReplyDeleteKhoobsoorat bunde....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की इस प्रविष्टि की चर्चा शनिवार 09/11/2013 को एक गृहिणी जब कलम उठाती है ...( हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल : 042 )
- पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर ....
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteजिंदगी जीना सीखा देती ये बुँदे ......
ReplyDeleteनई पोस्ट काम अधुरा है