सब कुछ महंगा है यहाँ
रोटी कपड़ा और
मकान
सब कुछ सपना है यहाँ
हर कोई परेशान और
हैरान
फिर भी जीना है यहाँ
जी लगे
न लगे
चूल्हा जलना है यहाँ
भूख लगे
न लगे
कोई तमन्ना नहीं यहाँ
हर ओर शमशान और
कब्रिस्तान
साँसों का मोल न यहाँ
सबसे सस्ता
हर इन्सान।
~यशवन्त यश©
रोटी कपड़ा और
मकान
सब कुछ सपना है यहाँ
हर कोई परेशान और
हैरान
फिर भी जीना है यहाँ
जी लगे
न लगे
चूल्हा जलना है यहाँ
भूख लगे
न लगे
कोई तमन्ना नहीं यहाँ
हर ओर शमशान और
कब्रिस्तान
साँसों का मोल न यहाँ
सबसे सस्ता
हर इन्सान।
~यशवन्त यश©
सुंदर !
ReplyDeleteकुछ बहुत मंहंगे भी तो हैं :)
अद्भूभूत नि:शब्द करती
ReplyDeleteसब कुछ महंगा है ... और सबसे सस्ता इंसान...क्या बात है सुन्दर
ReplyDeleteबह्त सही कहा..आज हर इंसान परेशान है..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर !
ReplyDeleteनई पोस्ट भाव -मछलियाँ
new post हाइगा -जानवर
बहुत सुंदर .
ReplyDeleteसत्य कड़वा नहीं होता अगर ....
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा यहाँ इंसान ही सबसे सस्ता .....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (11-12-13) को अड़ियल टट्टू आपका, अड़ा-खड़ा मझधार-चर्चा मंच 1458 में "मयंक का कोना" पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सत्य कहती रचना है यश जी |
ReplyDeleteसटीक रचना..सब महंगा है पर इंसान सस्ता है..
ReplyDeleteसचमुच आज इन्सान की कीमत घट गयी है और इसके लिए जिम्मेदार है खुद इन्सान जो खुद को जानता ही नहीं..
ReplyDeleteयशजी सबसे सस्ता इन्सान है इससे तो सहमत हूँ पर इस जनतंत्र में कुछ इंसान बहुत महंगे हैं, जिनका बोझ साड़ी जनता ढोती है.इंसान को तो कोई भो गोली मार कर निपटा देगा, पर उन्हें कोई नहीं. बहुत सुन्दर रचना की प्रस्तुति की है आपने.
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