10 December 2013

सबसे सस्ता हर इन्सान

सब कुछ महंगा है यहाँ
रोटी कपड़ा और
मकान
सब कुछ सपना है यहाँ
हर कोई परेशान और
हैरान
फिर भी जीना है यहाँ
जी लगे
न लगे
चूल्हा जलना है यहाँ
भूख लगे
न लगे
कोई तमन्ना नहीं यहाँ
हर ओर शमशान और
कब्रिस्तान
साँसों का मोल न यहाँ
सबसे सस्ता
हर इन्सान।

~यशवन्त यश©

13 comments:

  1. सुंदर !
    कुछ बहुत मंहंगे भी तो हैं :)

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  2. अद्भूभूत नि:शब्द करती

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  3. सब कुछ महंगा है ... और सबसे सस्ता इंसान...क्या बात है सुन्दर

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  4. बह्त सही कहा..आज हर इंसान परेशान है..

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  5. सत्य कड़वा नहीं होता अगर ....

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  6. बिल्कुल सही कहा यहाँ इंसान ही सबसे सस्ता .....

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  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (11-12-13) को अड़ियल टट्टू आपका, अड़ा-खड़ा मझधार-चर्चा मंच 1458 में "मयंक का कोना" पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  8. बहुत सत्य कहती रचना है यश जी |

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  9. सटीक रचना..सब महंगा है पर इंसान सस्ता है..

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  10. सचमुच आज इन्सान की कीमत घट गयी है और इसके लिए जिम्मेदार है खुद इन्सान जो खुद को जानता ही नहीं..

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  11. यशजी सबसे सस्ता इन्सान है इससे तो सहमत हूँ पर इस जनतंत्र में कुछ इंसान बहुत महंगे हैं, जिनका बोझ साड़ी जनता ढोती है.इंसान को तो कोई भो गोली मार कर निपटा देगा, पर उन्हें कोई नहीं. बहुत सुन्दर रचना की प्रस्तुति की है आपने.

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