दूर जाने के अभी ये मौसम नहीं हैं
किसी के गम किसी से कम नहीं हैं
किसी के गम किसी से कम नहीं हैं
कोई चलता है धीरे कोई भाग रहा है
उलझता है कोई सुलझता जा रहा है
ये डोर है कैसी इसका साहिल कहाँ है
कब्र में जी उठे कोई इस काबिल कहाँ है
बेमौसम जिंदगी की कटती पतंग यहीं है
तस्वीरें बदलती जातीं कोई एक रंग नहीं है
मुसाफिर सफर अकेले रास्ता अनजाना है
हमसफर न कोई यहाँ जाना पहचाना है
यह बात और है कि कोई समझता नहीं है
मन में रख कर सवाल कोई पूछता नहीं है
चौराहे कई कहीं पर मन का भरम नहीं है
रिश्ता न कोई फरिश्ता आप और हम नहीं है
मुसाफिर सफर अकेले रास्ता अनजाना है
हमसफर न कोई यहाँ जाना पहचाना है
यह बात और है कि कोई समझता नहीं है
मन में रख कर सवाल कोई पूछता नहीं है
चौराहे कई कहीं पर मन का भरम नहीं है
रिश्ता न कोई फरिश्ता आप और हम नहीं है
दूर जाने के अभी ये मौसम नहीं हैं
किसी के गम किसी से कम नहीं हैं ।
~यशवन्त यश©
(भावना जी की टिप्पणी के बाद इसे थोड़ा सा बढ़ा दिया है)
(भावना जी की टिप्पणी के बाद इसे थोड़ा सा बढ़ा दिया है)
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.........
ReplyDeleteबहुत लाजबाब रचना.
ReplyDeleteहां यशवंत जी ये जीवन ऐसा ही है... पर हां दूर जाने के अभी ये मौसम वाकई नहीं है :)
ReplyDeletekisi ke gam kisi se kam nahi hain .. aaj mujhe yahi lag ra hai .. is kavita ko bhi thoda aur expand kariye achhi lag rahi hai padhne mein.
ReplyDeleteबढ़ा दिया है :)
Deleteबढ़ाने की मैं खुद भी सोच रहा था कल रात एक ब्लॉग पोस्ट पढ़ते हुए ही यह पंक्तियाँ दिमाग में आई थीं जितना फलो बना उतना लिख कर छाप दिया था।
सादर
सुंदर !
ReplyDeleteमिलाकर बराबर बाँट लिये जाते हैं
गम पूरे से आधे भी किये जाते हैँ :)
BAHUT SUNDAR
ReplyDeleteSunder Panktiyan.....
ReplyDeleteहर किसी को उसके गम और खुशियाँ मुबारक हों..यही हमें आगे बढने की प्रेरणा देते हैं
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है.
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना...
ReplyDeleteबढ़ाने के बाद और भी बढ़िया हो गया...
ReplyDeleteजिन्दगी ऐसी ही है कही धूप कही छांव..बहुत सुन्दर..
ReplyDeleteबहुत लाजवाब ... हर शेर मन की बात कह रहा है जैसे ...
ReplyDeleteis kavita ko aapki nai kavita "sannate ko todna hai" se joda ja sakta hai inka rhythm aur bhaav milta julta sa lag ra hai yaa shayad aisa mujhe hi lag rahaa ho ..
ReplyDeleteआपका कहना बिलकुल सही है। दोनों का फ़्लो एक जैसा ही है। लेकिन 'सन्नाटे को तोड़ना है 'मैंने लगभग 6 घंटे की मशक्कत के बाद लिखी है जबकि 'किसी के गम किसे कम नहीं है ' लिखने मे मात्र 30 मिनट ही लगे।
Deleteबहुत सुंदर आपकी कविता..
ReplyDeleteसादर प्रणाम