05 December 2013

धुन

बिखरी हुई हैं
हर तरफ
कुछ धुनें
जानी पहचानी
अनजानी
जो 
कभी शब्दों के संग
संगीत मे घुल कर
और कभी
दृढ़ संकल्प बन कर
कराती हैं एहसास 
खुद की अदृश्य
ताकत का
और ले चलती है
उजास की
गुलशन गली में । 

~यशवन्त यश©

7 comments:

  1. बहुत सुंदर..अदृश्य धुनें ही जीने का मर्म हैं..

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  2. संगीत ,संकल्प और मस्ती के धुन ,अच्छा लगता है .सुन्दर रचना

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  3. हां होती तो हैं कुछ ऐसी धुन....बहुत अच्छा

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