बिखरी हुई हैं
हर तरफ
कुछ धुनें
जानी पहचानी
अनजानी
जो
कभी शब्दों के संग
संगीत मे घुल कर
और कभी
दृढ़ संकल्प बन कर
कराती हैं एहसास
खुद की अदृश्य
ताकत का
और ले चलती है
उजास की
गुलशन गली में ।
~यशवन्त यश©
हर तरफ
कुछ धुनें
जानी पहचानी
अनजानी
जो
कभी शब्दों के संग
संगीत मे घुल कर
और कभी
दृढ़ संकल्प बन कर
कराती हैं एहसास
खुद की अदृश्य
ताकत का
और ले चलती है
उजास की
गुलशन गली में ।
~यशवन्त यश©
बहुत खूब !
ReplyDeleteबहुत सुंदर..अदृश्य धुनें ही जीने का मर्म हैं..
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
ReplyDeleteसंगीत ,संकल्प और मस्ती के धुन ,अच्छा लगता है .सुन्दर रचना
ReplyDeleteहां होती तो हैं कुछ ऐसी धुन....बहुत अच्छा
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
ReplyDelete:-)