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07 December 2013

नन्हें मुन्ने प्यारे बच्चे इस बगिया के फूल हैं

 यह वर्ष 2013 की 200 वीं पोस्ट है (इसे फेसबुक पर सुनीता जी के ईवेंट हेतु कुछ दिन पहले लिखा था।)


नन्हें मुन्ने प्यारे बच्चे
इस बगिया के फूल हैं

क्यारी क्यारी हँसकर कहती
ये ही कोहिनूर हैं

कच्ची मिट्टी की सोंधी खुशबू
इनके भीतर से आती है

कभी गुलाब कभी मोगरा बन कर
मन को खूब लुभाती है

इनकी मस्ती मे मस्त हो कर
आओ हम भी झूमें गाएँ

इनके ही संग मिल कर हम भी
इनके जैसे हो जाएँ।

~यशवन्त यश©

18 comments:

  1. waaahh umda rachna @yashwant ji ...
    kyari kyari has kar kahti ye to kohinoor hai umda lines

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  2. प्यारा ख़याल......

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  3. SACCHI BAT .....MAI BHI SAHMAT HOON ...

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  4. 200वीं पोस्ट की बधाई हो।
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (08-12-2013) को "जब तुम नही होते हो..." (चर्चा मंच : अंक-1455) पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  5. सच, बच्चों से ही जीवन है.

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  6. बहुत प्यारी रचना...
    :-)

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  7. 200 वीं पोस्ट के लिए बहुत बहुत बधाई और
    आने वाले अनगिनत पोस्ट के लिए हार्दिक शुभकामनायें ........
    बहुत सुन्दर रचना

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  8. बहुत सुंदर......

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  9. बहुत प्यारी रचना..

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  10. बहुत प्यारी रचना, बधाई.

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  11. बेहतरीन चाह बधाई

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  12. उत्तम...इस प्रस्तुति के लिये आप को बहुत बहुत धन्यवाद...

    नयी पोस्ट@ग़ज़ल-जा रहा है जिधर बेखबर आदमी

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  13. बहुत सुन्दर भोला भाला बचपन..

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