यह वर्ष 2013 की 200 वीं पोस्ट है (इसे फेसबुक पर सुनीता जी के ईवेंट हेतु कुछ दिन पहले लिखा था।)
नन्हें मुन्ने प्यारे बच्चे
इस बगिया के फूल हैं
क्यारी क्यारी हँसकर कहती
ये ही कोहिनूर हैं
कच्ची मिट्टी की सोंधी खुशबू
इनके भीतर से आती है
कभी गुलाब कभी मोगरा बन कर
मन को खूब लुभाती है
इनकी मस्ती मे मस्त हो कर
आओ हम भी झूमें गाएँ
इनके ही संग मिल कर हम भी
इनके जैसे हो जाएँ।
~यशवन्त यश©
नन्हें मुन्ने प्यारे बच्चे
इस बगिया के फूल हैं
क्यारी क्यारी हँसकर कहती
ये ही कोहिनूर हैं
कच्ची मिट्टी की सोंधी खुशबू
इनके भीतर से आती है
कभी गुलाब कभी मोगरा बन कर
मन को खूब लुभाती है
इनकी मस्ती मे मस्त हो कर
आओ हम भी झूमें गाएँ
इनके ही संग मिल कर हम भी
इनके जैसे हो जाएँ।
~यशवन्त यश©
waaahh umda rachna @yashwant ji ...
ReplyDeletekyari kyari has kar kahti ye to kohinoor hai umda lines
प्यारा ख़याल......
ReplyDeleteSACCHI BAT .....MAI BHI SAHMAT HOON ...
ReplyDelete200वीं पोस्ट की बधाई हो।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (08-12-2013) को "जब तुम नही होते हो..." (चर्चा मंच : अंक-1455) पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सच, बच्चों से ही जीवन है.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
ReplyDeleteबहुत प्यारी रचना...
ReplyDelete:-)
सुंदर !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर !
ReplyDeleteनई पोस्ट नेता चरित्रं
नई पोस्ट अनुभूति
Pyari Panktiyan.....
ReplyDelete200 वीं पोस्ट के लिए बहुत बहुत बधाई और
ReplyDeleteआने वाले अनगिनत पोस्ट के लिए हार्दिक शुभकामनायें ........
बहुत सुन्दर रचना
बहुत सुंदर......
ReplyDeleteबहुत प्यारी रचना..
ReplyDeleteबहुत प्यारी रचना, बधाई.
ReplyDeleteबेहतरीन चाह बधाई
ReplyDeleteउत्तम...इस प्रस्तुति के लिये आप को बहुत बहुत धन्यवाद...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@ग़ज़ल-जा रहा है जिधर बेखबर आदमी
बहुत सुन्दर भोला भाला बचपन..
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