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11 January 2014

आज भी वह मेरे काम आया ......

कुछ चीज़ें
कभी कभी 
मिल कर
अचानक ही कहीं
याद दिला देती हैं
पिछले दिनों की
और गुज़र चुके वक़्त की
आज एक
ऐसी ही चीज़  मिली
एक पुराना
25 पैसे का सिक्का
नये की तरह
आज भी
वैसा ही चमकता हुआ......

मिला करता था मुझे
वैसा ही
25 पैसे का सिक्का 
स्कूल के दिनों मे 
जेब खर्च को
जो काम आता था
लेने को
कभी टॉफी
कभी इमली
या कुछ और .....

आज भी
वह सिक्का
मेरे काम आया
और मैं घूम आया
बचपन की
सुनहरी गलियों में। 

~यशवन्त यश©

10 comments:

  1. सचमुच बहुत सी यादें जुडी होती हैं, इन छोटी - छोटी वस्तुओं से.... सुन्दर रचना

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  2. Sach bahut khushi deti hain aisi cheezen. .

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (12-01-2014) को वो 18 किमी का सफर...रविवारीय चर्चा मंच....चर्चा अंक:1490
    में "मयंक का कोना"
    पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. This comment has been removed by the author.

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  5. बहुत खूब !
    याद के ही काम आ सकता था बस
    काम के काम नहीं आ पाया :)

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  6. सच बचपन की ओर मन यूँ ही थक हार कर यादों में डूबने लगता है ..... तब चवन्नी की भी अपनी एक कीमत थी..
    बहुत सुन्दर

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  7. बचपन की बहुत सी यादें जुड़ी रहे ,अच्छा लगता है..

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  8. चाहे सरकार ने इस सिक्के को बंद कर दिया ... बचपन की गलियों में जाने से कैसे रोक सकते हैं वो ... भावभीनी रचना ...

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  9. वाह, मन को छू गयी पंकितयां !! :)

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