दिल दरिया है
रुकता नहीं
बहता जाता है
चलता जाता है
अपनी राह
खुद बनाता है
धकेलते हुए
राह में आने वाले
पत्थर के
छोटे टुकड़ों को ।
दुख और सुख के क्षणों में
कभी तेज़
कभी धीमी लहरों को
साथ लिये
अँधियारे से
अनकही
कहता जाता है
दिल दरिया है
बहता जाता है।
[एक दोस्त के गूगल चैट स्टेटस से प्रेरित]
~यशवन्त यश©
रुकता नहीं
बहता जाता है
चलता जाता है
अपनी राह
खुद बनाता है
धकेलते हुए
राह में आने वाले
पत्थर के
छोटे टुकड़ों को ।
दुख और सुख के क्षणों में
कभी तेज़
कभी धीमी लहरों को
साथ लिये
अँधियारे से
अनकही
कहता जाता है
दिल दरिया है
बहता जाता है।
[एक दोस्त के गूगल चैट स्टेटस से प्रेरित]
~यशवन्त यश©
सुंदर !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर....बहते रहना ही इसकी खूबसूरती है....
ReplyDeleteभावो का सुन्दर समायोजन......
ReplyDeleteयूँ ही प्रवाह बना रहे. उसकी निरंतरता में ही जीवन है.
ReplyDeleteखूबसूरत अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteसुन्दर भाव कि सुन्दर रचना..
ReplyDelete:-)
बहते रहना जीवांतता का प्रतिक है ....सुंदर प्रस्तुति ..
ReplyDeletesach hai dukh ya sukh dil dariya behta chala jata hai...
ReplyDeleteshubhkamnayen
बेहतरीन.
ReplyDeleteसादर.
bahut sundar avivyakti ..
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