11 February 2014

दिल दरिया है रुकता नहीं

दिल दरिया है
रुकता नहीं
बहता जाता है
चलता जाता है
अपनी राह
खुद बनाता है
धकेलते हुए
राह में आने वाले
पत्थर के
छोटे टुकड़ों को ।
दुख और सुख के क्षणों में
कभी तेज़
कभी धीमी लहरों को
साथ लिये
अँधियारे से
अनकही
कहता जाता है
दिल दरिया है
बहता जाता है। 

[एक दोस्त के गूगल चैट स्टेटस से प्रेरित]

~यशवन्त यश©

10 comments:

  1. बहुत सुन्दर....बहते रहना ही इसकी खूबसूरती है....

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  2. भावो का सुन्दर समायोजन......

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  3. यूँ ही प्रवाह बना रहे. उसकी निरंतरता में ही जीवन है.

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  4. खूबसूरत अभिव्यक्ति...

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  5. सुन्दर भाव कि सुन्दर रचना..
    :-)

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  6. बहते रहना जीवांतता का प्रतिक है ....सुंदर प्रस्तुति ..

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  7. sach hai dukh ya sukh dil dariya behta chala jata hai...

    shubhkamnayen

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  8. बेहतरीन.

    सादर.

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