बारिश की धुन में लिखते लिखते कुछ
निकल आई धूप तो मन भी बदल गया
मौसम का जादू एक बार फिर चल गया
आसमान से झरते रूई के फाहे कहीं पर
धुल कर धरती को नया रंग मिल गया
सूरज को भी बादलों का संग मिल गया
लग रहा चंचल बसंत मचल उठा है कुछ
घट कर घटा कहीं पर सतरंग बिछ गया
मौसम का जादू एक बार फिर चल गया
~यशवन्त यश©
नोट-पहली 2 पंक्तियाँ कल फेसबुक स्टेटस में लिखी थीं और
तीसरी पंक्ति आदरणीया अनीता निहलानी जी ने वहाँ कमेन्ट मे दी थी।
निकल आई धूप तो मन भी बदल गया
मौसम का जादू एक बार फिर चल गया
आसमान से झरते रूई के फाहे कहीं पर
धुल कर धरती को नया रंग मिल गया
सूरज को भी बादलों का संग मिल गया
लग रहा चंचल बसंत मचल उठा है कुछ
घट कर घटा कहीं पर सतरंग बिछ गया
मौसम का जादू एक बार फिर चल गया
~यशवन्त यश©
नोट-पहली 2 पंक्तियाँ कल फेसबुक स्टेटस में लिखी थीं और
तीसरी पंक्ति आदरणीया अनीता निहलानी जी ने वहाँ कमेन्ट मे दी थी।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ..
ReplyDeleteरखी रज़ाई निकल गया
ReplyDeleteनाक जो बह गया :P
बहुत सुंदर रचना
हार्दिक शुभकामनायें
बहुत सुंदर रच बन गई। कल अधूरी थी आज पूरी हो गयी...वाह
ReplyDeleteबहुत बढिया...
ReplyDeleteआपकी प्रविष्टि् कल रविवार (16-02-2014) को "वही वो हैं वही हम हैं...रविवारीय चर्चा मंच....चर्चा अंक:1525" पर भी रहेगी...!!!
ReplyDelete- धन्यवाद
सुंदर !
ReplyDeleteमौसम का जादू तो आजकल रोजही नया चल रहा है ... आज तो आपकी कलम का जादू भी चल गया ... लाजवाब प्रस्तुति ..
ReplyDeleteman ko khila gai rachna :)
ReplyDeleteshubhkamnayen
man ko khila gai rachna :)
ReplyDeleteshubhkamnayen
man ko khila gai rachna :)
ReplyDeleteshubhkamnayen
waahh sach hai mausam ka asar jhatpat hota hai :)
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत एकदम बासंती मौसम की तरह :-)
ReplyDeleteगुलाबी मौसम की सुंदर अभिव्यक्ति.....
ReplyDeleteवाह..मौसम के बदलते हुए रूप शब्दों में और निखर आये हैं...
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