24 February 2014

ई वोटिंग आज की आवश्यकता

आज के समाचार पत्र में जब यह खबर (देखें चित्र लाल-पीले घेरे में) पढ़ी तो 2 वर्ष पूर्व लिखा अपना एक आलेख याद आ गया।


राज्य सभा सांसद राजीव चंद्रशेखर जी द्वारा चलाई जा रही इस मुहिम को व्यापक समर्थन की आवश्यकता है। 


उन्नत तकनीक के इस दौर में अब समय आ गया है कि वोटिंग के इस विकल्प पर भी चुनाव आयोग और सरकार को गंभीरता पूर्वक विचार करना चाहिए जिससे वोटिंग प्रतिशत निश्चित रूप से बढ़ेगा।  
 
आपकी जानकारी के लिये बता दूँ कि यह आलेख 19 फरवरी 2011 को 'हिंदुस्तान' दिल्ली के तत्कालीन संपादक आदरणीय प्रमोद जोशी जी ने अपने ब्लॉग पर विशेष टिप्पणी के साथ प्रकाशित किया था।  

यहाँ क्लिक करके प्रस्तुत आलेख प्रमोद जोशी जी के ब्लॉग पर भी पढ़ा जा सकता है।  
 
चुनाव आयोग को एक सुझाव
यशवंत माथुर
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अभी 17 फरवरी 2011 के ‘हिन्दुस्तान’ में सम्पादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित नवीन जिंदल जी के आलेख को पढ़ कर मेरे मन भी एक विचार आया जो मैं आप सब के साथ यहाँ साझा कर रहा हूँ.
ताज़ा आंकड़ों के अनुसार भारत 8 करोड इंटरनेट कनेक्शंस के साथ विश्व में इंटरनेट का सर्वाधिक इस्तेमाल करने वाले देशों की सूची में चौथे नम्बर पर है.यह तो वो आँकडा है कि इतने लोगों के पास भारत में इंटरनेट कनेक्शंस हैं जबकि इंटरनेट प्रयोग करने वाले वास्तव में इससे कहीं ज्यादा हैं.
मेरा सुझाव है कि चुनावों की प्रक्रिया ऑनलाइन भी होनी चाहिए(अर्थात जनता के पास परम्परागत व ऑनलाइन दोनों ही विकल्पों से वोट देने का विकल्प होना चाहिए,इस हेतु दो तरह की मतदाता सूची रखनी होगी एक ऑनलाइन वोटर्स की और दूसरी पोलिंग बूथ पर जाकर वोट देने वालों की).
मेरे पास इसका पूरा खाका तैयार है.इस प्रक्रिया में हम उपलब्ध तकनीकी का ही सहारा लेकर और न्यूनतम खर्च में मितव्ययिता पूर्ण और सुरक्षित चुनाव प्रक्रिया अपना सकते हैं.आइये एक नज़र डालें मेरे बनाए खाके पर-
  • सबसे पहले चुनाव आयोग देश के सभी नागरिकों को इंटरनेट द्वारा ऑनलाइन वोटिंग करने का विकल्प उपलब्ध कराये.
  • चुनाव आयोग की वेब साईट पर ऑनलाइन मतदान के इच्छुक वोटर्स हेतु रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया आरम्भ हो.
  • इस ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन फॉर्म में इच्छुक मतदाता अपना वोटर आई डी कार्ड नम्बर,मोबाइल नम्बर और ई मेल पता भरेगा.
  • रजिस्ट्रेशन हेतु मतदाता के आवेदन की सूचना इसके मोबाइल एवं मेल पर दी जायेगी.
  • रजिस्ट्रेशन की समय सीमा के उपरान्त प्राप्त आवेदनों को रजिस्ट्रेशन नम्बर आवंटित किया जाएगा जिसे मतदान के समय वोटर आयोग की साईट पर यूजर आई डी के रूप में भी प्रयोग कर सकेगा.
  • आयोग की साईट पर ऑनलाइन वोटिंग हेतु रजिस्टर्ड मतदाताओं का नाम सम्बंधित विधान सभा एवं लोक सभा क्षेत्र की भौतिक मतदाता सूची से हटा दिया जाए.और उनका नाम पृथक से ऑनलाइन वोटर्स की मतदाता सूची में सम्मिलित कर लिया जाए.और इसकी सूचना सम्बंधित वोटर्स को भी दे दी  जाए.

यहाँ आरंभिक प्रक्रिया पूर्ण हो जायेगी.


 मतदान की प्रक्रिया
अब जब भी चुनाव हों या जिस दिन जहाँ वोट पड़ना हो;वोट डालने हेतु साईट पर आते ही मतदाता अपना ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नम्बर एंटर करेगा और सबमिट करते ही उसके मोबाइल अथवा मेल पर एक पासवर्ड भेज दिया जाएगा जिसे डालते ही उसके सामने स्क्रीन पर मतपत्र आ जायेगा और अपनी पसंद के उम्मीदवार के नाम पर क्लिक करके सबमिट करते ही मतदान प्रक्रिया भी पूर्ण हो जायेगी.

मेरा इस ब्लॉग के माध्यम से सुझाव है कि हमारे चुनाव आयोग को दोहरी मतदान  प्रक्रिया पर भी विचार करना चाहिए.

आइये एक नज़र डालें इससे होने वाले लाभों पर भी.-
1.      वे सभी लोग किसी भी वजह से पोलिंग बूथ पर जाने में असमर्थ हैं और कम्प्युटर का ज्ञान रखते हैं वोट डाल पायेंगे.
2.      बूथ कैप्चरिंग जैसी घटनाओं पर अंकुश लग सकेगा.
3.      कागज की बचत होगी.
4.      इस प्रक्रिया में मानव श्रम भी बचेगा.
5.      यात्रा कर रहे या अपने शहर से बाहर रह रहे मतदाता जिनका अपने नए शहर की भौतिक मतदाता सूची नाम नहीं है वे भी अपना वोट डाल सकेंगे.
6.      गोपनीयतापूर्ण एवं विश्वसनीय मतदान की पूर्ण संभावना उपस्थित रहेगी.

ऑनलाइन मतदान की इस प्रक्रिया अपनाने में किसी भी तरह की नयी तकनीकी की आवश्यकता संभवतः नहीं होगी और यह प्रक्रिया सरल भी होगी.

यदि आने वाले दिनों में इस प्रक्रिया को अपनाया जाता है तो संभवतः हमारा देश विश्व का पहला देश होगा जहाँ इतनी सरल व सुगम मतदान प्रक्रिया लागू होगी.


~यशवन्त यश©

6 comments:

  1. पूर्णतः सहमत हूँ .... यह समय की मांग भी है ....

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  2. ज़रुरत तो है..... सहमत हूँ

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (25-02-2014) को "मुझे जाने दो" (चर्चा मंच-1534) पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. बहुत अच्छा मुद्दा उठाया है समय की माँग भी है और होना भी है इंतजार है :)

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  5. आज की जरूरत है ... अगर ऐसा हो जाए तो समय की बर्बादी भी रुक सकती है कुछ हद तक ...

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